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________________ भी है, संत भी है; अस्तित्व दोनों को स्वीकार करता है। तुम भी स्वीकार करो दोनों को। पापी के लिए कोई निंदा न हो, संत के लिए कोई प्रशंसा न हो; तुम चुनावरहित हो जाओ। उस चुनावरहितता में तुम संतुलित हो जाओगे, और त्म समग्र हो जाओगे। चौथा प्रश्न: क्या आप मुस्कुराते है-जब हम आपकी सभा में गंभीर होते हैं और लंबे चेहरे लिए बैठे होते हैं? और मैं कर भी क्या सकता हूं! पांचवां प्रश्न : आपने एक बार कहा कि मादक द्रव्य रासायनिक स्वप्त निर्मित करते है- काल्पनिक अनुभव। और कृष्णमूर्ति कहते हैं कि सारी योग- साधनाएं और सारी ध्यान- विधियां मादक द्रव्यों जैसी ही हैं- वे भी रासायनिक परिवर्तन पैदा करती हैं और अनुभव घटित होते हैं। कृपया इस विषय पर कुछ कहें। कृष्णमूर्ति ठीक कहते हैं। बहुत कठिन है इसे समझना, लेकिन वे ठीक कहते हैं। सारे अनुभव रासायनिक परिवर्तन द्वारा ही होते हैं-सारे अनुभव, बिना किसी अपवाद के। चाहे तुम एल एस डी लो या तुम उपवास करो, दोनों प्रकार से शरीर रासायनिक परिवर्तन से गुजरता है। चाहे तुम मारिजुआना लो या तुम कोई विशेष प्राणायाम, कोई श्वास का अभ्यास करो, दोनों प्रकार से शरीर रासायनिक परिवर्तन से गुजरता है। इसे समझने की कोशिश करो। जब तुम उपवास करते हो, तो क्या होता तुम्हारे शरीर में कुछ रासायनिक तत्वों की कमी हो जाती है, क्योंकि प्रतिदिन भोजन द्वारा उनकी पूर्ति करनी होती है। यदि तुम उन रासायनिक तत्वों की पूर्ति नहीं करते, तो शरीर में वे रासायनिक तत्व कम हो जाते हैं। तब
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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