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________________ प्रयोग करके देखना। कई बार ऐसा होता है : दो प्रेमी साथ-साथ बैठे हैं हाथ में हाथ लिए यदि वे सच में ही प्रेम में होते हैं तो वे अचानक पाते हैं कि वे एक साथ श्वास ले रहे हैं, वे अलग-अलग श्वास नहीं ले रहे हैं। जब स्त्री श्वास भीतर लेती है, तब पुरुष भी श्वास भीतर लेता है। जब पुरुष श्वास बाहर छोड़ता है, तब स्त्री भी श्वास बाहर छोड़ती है। प्रयोग करके देखना। कभी अचानक सजग होकर देखना। यदि तम अपने मित्र के साथ बैठे हो, तो तुम साथ-साथ श्वास ले रहे होओगे। कोई दुश्मन बैठा है और तुम उससे पीछा छुड़ाना चाहते हो-या कोई उबाने वाला बैठा है और तुम उससे छुटकारा पाना चाहते हो, तो तुम अलग-अलग श्वास लोगे; तुम्हारी श्वास आपस में बिलकुल लयबद्ध न होगी। किसी वृक्ष के पास बैठना। यदि तुम शांत हो, आनंदित हो, आह्लादित हो, तो अचानक तुम पाओगे कि वृक्ष, आश्चर्य की बात है, उसी ढंग से श्वास ले रहा है, जिस ढंग से तुम श्वास ले रहे हो। और एक घड़ी आती है जब तुम अनुभव करते हो कि तुम समग्र के साथ श्वास ले रहे हो। तुम समग्र की श्वास के साथ लयबद्ध हो जाते हो। तुम फिर लड़ नहीं रहे होते, संघर्ष नहीं कर रहे होते, तुम समर्पित होते हो कि अलग श्वास लेने की जरूरत नहीं रह जाती है। गहन प्रेम में लोग साथ-साथ श्वास लेते हैं। घृणा में ऐसा कभी नहीं होता। मेरी ऐसी अनुभूति है कि अगर तुम किसी के प्रति विरोध रखते हो तो चाहे वह हजारों मील दूर क्यों न हो-यह एक अनुभूति ही है क्योंकि इसके लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन किसी दिन संभावना है वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध होने की-लेकिन मेरी अत्यंत गहन अनुभूति है कि यदि तुम किसी के प्रति विरोध रखते हो, तो चाहे वह अमरीका में हो और तम भारत में हो, तम अलग-अलग श्वास लोगे; तुम एक साथ श्वास नहीं ले सकते। और हो सकता है तुम्हारा प्रेमी चीन में हो और तुम यहां पूना में हो-हो सकता है तुम्हें पता भी न हो कि तुम्हारा प्रेमी कहां है लेकिन तुम साथ-साथ ही श्वास लोगे। ऐसा ही होना चाहिए, और मैं जानता हूं कि ऐसा ही है। लेकिन कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलनग नहीं है। इसीलिए मैं कहता हूं कि यह मेरी अनुभूति है। किसी दिन कोई वैज्ञानिक इसके लिए प्रमाण भी जुटा देगा। कुछ प्रमाण हैं जो संकेत देते हैं। उदाहरण के लिए. रूस में टेलीपैथी पर कुछ प्रयोग चलते हैं। इस टेलीपैथी के प्रयोग में दो व्यक्ति, बहुत दूर, सैकड़ों मील दूर होते हैं. एक व्यक्ति संदेश भेजता है, दूसरा व्यक्ति संदेश ग्रहण करता है। निश्चित समय पर, कोई बारह बजे दोपहर, पहला व्यक्ति संदेश भेजना शुरू करता है। वह त्रिभुज का आकार बनाता है, उस पर चित्त को एकाग्र करता है और संदेश भेजता है कि 'मैंने त्रिभुज बनाया है।' और दूसरा व्यक्ति उसे ग्रहण करने की कोशिश करता है। बस खुला रहता है, अनुभव करता है, संवेदनशील रहता है क्या संदेश आ रहा है। और वैज्ञानिकों ने निरीक्षण किया है कि यदि वह त्रिभुज को पकड़ पाता है, तो वे दोनों एक ही ढंग से श्वास ले रहे होते हैं; यदि वह चूक जाता है त्रिभज को तो वे एक ही ढंग से श्वास नहीं ले रहे होते हैं।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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