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________________ आसन की सिद्धि के बाद का चरण है प्राणायाम। यह सिद्ध होता है श्वास और प्रश्वास पर कुंभक करने से या अचानक श्वास को रोकने से । शरीर और मन के बीच श्वास एक सेतु है ये तीनों बातें समझ लेनी हैं। आसन में थिर शरीर, असीम में विलीन होता मन और श्वास का सेतु जो कि उन्हें जोड़ता है, ये तीनों चीजें एक सम्यक लय में होनी चाहिए। क्या तुमने कभी ध्यान दिया है? यदि नहीं, तो अब ध्यान देना कि जब भी तुम्हारा मन बदलता है, तो श्वास बदल जाती है। इसके विपरीत बात भी सच है कि यदि तार श्वाश का ढंग बदलो तो मन बदल जाता है। जब तुम कामवासना से आविष्ट होते हो तो तुमने ध्यान दिया कि कैसे श्वास लेते हो तुम? तुम बहुत अराजक, अस्तव्यस्त, उत्तेजित ढंग से श्वास लेते हो। यदि तुम उसी ढंग से श्वास लेते रहो तो तुम जल्दी ही थक जाओगे, निढाल हो जाओगे। वह तुम्हें जीवन न देगी; असल में उस ढंग से तुम जीवन खो रहे हो। जब तुम शांत और मौन होते हो, अच्छा अनुभव करते हो – अचानक किसी सुबह की शांति में या शाम तारों की ओर देखते हुए, कुछ न करते हुए, छुट्टी के दिन, बस विश्राम करते हुए - देखना, ध्यान देना श्वास पर वह बहुत धीमी चलती है। तुम उसे अनुभव भी नहीं करते कि वह चल भी रही है या नहीं। जब तुम क्रोधित होते हो, तो ध्यान देना । श्वास तुरंत बदल जाती है। जब तुम प्रेम से भरे होते हो, तो ध्यान देना । प्रत्येक भाव - दशा के साथ श्वास की लय भिन्न होती है। श्वास एक सेतु है। जब तुम्हारा शरीर स्वस्थ होता है, तो श्वास अलग ढंग से चलती है। जब तुम्हारा शरीर अस्वस्थ होता है तो श्वास अलग ढंग से चलती है। जब तुम पूर्णरूपेण स्वस्थ होते हो तो तुम बिलकुल भूल जाते हो श्वास को। जब तुम पूरी तरह स्वस्थ नहीं होते तो श्वास पर बार-बार तुम्हारा ध्यान जाता है, कुछ गड़बड़ है। 'आसन की सिद्धि के बाद का चरण है प्राणायाम।' प्राणायाम का अर्थ 'श्वास पर नियंत्रण नहीं है। यह प्राणायाम शब्द की ठीक व्याख्या नहीं है। प्राणायाम का अर्थ श्वास पर नियंत्रण बिलकुल नहीं है। इसका अर्थ है प्राण ऊर्जा का विस्तार प्राणआयाम : प्राण का अर्थ है श्वास में छिपी प्राण – ऊर्जा, और आयाम का अर्थ है असीम विस्तार। यह 'श्वास पर नियंत्रण नहीं है। — यह शब्द 'नियंत्रण थोड़ा भद्दा है, क्योंकि यह नियंत्रण शब्द ही तुम्हें कर्ता की अनुभूति देता हैसंकल्प आ जाता है। प्राणायाम बिलकुल अलग बात है। प्राण ऊर्जा का विस्तार इस ढंग से श्वास लेना कि तुम अस्तित्व की श्वास के साथ एक हो जाते हो इस ढंग से श्वास लेना कि तुम अलग से श्वास नहीं ले रहे, तुम समय के साथ श्वास ले रहे हो।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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