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________________ करते हैं और असफल होते हैं, क्योंकि उनका शरीर सहयोग नहीं देता। हमेशा अच्छा होता है क, ख, ग से प्रारंभ करना, और धीरे-धीरे कम में आगे बढ़ना। शरीर सबसे पहली बात है, बिलकुल प्रारंभिक है। व्यक्ति को शरीर से प्रारंभ करना चाहिए। यदि तुम शरीर की शांत अवस्था को उपलब्ध हो जाते हो, तो अचानक तुम पाओगे कि मन स्थिर हो रहा है। मन हमेशा बाएं-दाएं डोलता रहता है। मन बाप-दादों के जमाने की पुरानी घड़ी के पेंडुलम जैसा हैदाएं से बाएं, बाएं से दाएं डोलता रहता है। और यदि तुम पेंडुलम को ध्यान से देखो तो तुम अपने मन के विषय में बहुत कुछ जान सकते हो। जब पेंडुलम बाईं तरफ जा रहा होता है, तो प्रकट में वह बाईं तरफ जा रहा होता है, किंतु असल में वह दाईं तरफ जाने की शक्ति इकट्ठी कर रहा होता है। जब आंखें कहती हैं कि पेंडुलम बाईं तरफ जा रहा है, तो बाईं ओर की वह गति ही पेंडुलम के फिर से दाईं ओर जाने के लिए एक शक्ति, एक मोमेंटम पैदा कर देती है। और जब वह दाईं तरफ जा रहा होता है तो वह बाईं ओर जाने के लिए शक्ति इकट्ठा कर रहा होता है। तो जब भी तुम प्रेम में पड़ते हो, तब तुम घृणा करने की शक्ति इकट्ठी कर रहे होते हो। जब तुम घृणा करते हो तो तुम प्रेम करने की शक्ति इकट्ठी कर रहे होते हो। जब तुम सुखी अनुभव कर रहे होते हो, तब तुम दुखी होने के लिए ऊर्जा इकट्ठी कर रहे होते हो। जब तुम दुखी अनुभव कर रहे होते हो, तब तुम सुखी होने की शक्ति इकट्ठी कर रहे होते हो। इसी भांति मन डोलता रहता है। मैंने सुना है कि जब भारत सन उन्नीस सौ सैंतालीस में स्वतंत्र हुआ, तो दिल्ली में एक सुंदर हाथी था। स्वतंत्रता से पहले हाथी का उपयोग किया जाता था विवाह की शोभायात्राओ में और ऐसे ही दूसरे समारोहों में, लेकिन स्वतंत्रता के बाद राजनैतिक दलों ने भी हाथी का उपयोग करना आरंभ कर दिया अपने समारोहों के लिए, जुलूसों के लिए, विरोध-प्रदर्शनों के लिए। उस हाथी में थोड़ी गड़बड़ थी। उसकी बाईं ओर की टांगें थोड़ी छोटी थीं, इसलिए जब वह हाथी चलता था तो बाईं तरफ झुका रहता था। कम्मुनिस्ट बड़े खुश थे, सोशलिस्ट बड़े खुश थे—यह हाथी तो लेफ्टिस्ट है, वामपंथी है। तो वे उस हाथी को किराए पर लेने के लिए उसके मालिक को पैसे देते, और वे ताली बजाते, और उनके अनुयायी फूल बरसाते हाथी पर। वस्तुत: ऐसा ही तो होना चाहिए हाथी-वामपंथी। निश्चित ही, हाथी के लिए चलना कठिन था, लेकिन कौन परवाह करता है हाथी की? हाथी के लिए चलना कठिन था क्योंकि दो टांगें छोटी थीं और सारा बोझ बाईं टांगों पर पड़ रहा था। हाथी पारी होता है; कठिन था चलना। मनों बोझ उठाना पड़ता। लेकिन फूलों की बौछार, फूलमालाएं और उसका सम्मान किया जाता, और तस्वीरें छपती अखबारों में. कि यह रहा कम्युनिस्ट हाथी। यह देख कर कि कम्मुनिस्ट और सोशलिस्ट और दूसरे वामपंथियों के पास एक सुंदर हाथी है, दक्षिणपंथियों ने भी अपने जलसों और समारोहों का समय आने पर उस हाथी को किराए पर लिया
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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