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________________ और मृत्यु ने कहा, 'क्या तुमने मुझे बुलाया?' वह बूढ़ा अचानक सारी थकान, सारी ऊब, मुर्दा पुनरुक्ति भरी जिंदगी की सब बात भूल गया। वह उछल पड़ा और उसने कहा, 'ही –ही, मैंने बुलाया था तुम्हें। क्या तुम इस गट्ठर को उठवाने में जरा मेरी मदद करोगी? यहां किसी को मदद के लिए आस-पास न देख कर मैंने तुम्हें बुलाया था।' ऐसी घड़ियां होती है जब तुम थक जाते हो। ऐसी घड़ियां होती है जब तम मर जाना चाहते हो। लेकिन मरना एक कला है, इसे सीखना पड़ता है। और जीवन से थकने का अर्थ सच में ही यह नहीं होता कि गहरे में जीवन के प्रति तम्हारी लालसा मिट चकी हो। तम शायद थक गए हो किसी एक ढंग के जीवन से, लेकिन तुम जीवन मात्र से नहीं थके हो। हर कोई थक जाता है जीवन के एक ही ढांचे से-वही उबाऊ दिनचर्या, वही रोज का थकान भरा चक्कर, फिर-फिर वही बात, एक पुनरुक्तिलेकिन तुम जीवन से ही नहीं थके होते। और यदि मौत आ जाए तो तुम भी वही करोगे जो उस लकड़हारे ने किया। उसने एकदम मनुष्य की भांति व्यवहार किया। उस पर हंसो मत। बहुत बार तुमने भी सोचा है कि खतम करें इस अंतहीन बकवास को। किसलिए चलाए रहें इसे? लेकिन यदि मृत्यु अचानक तुम्हारे सामने आ जाए तो तुम तैयार न होओगे। केवल योगी ही मरने के लिए तैयार हो सकता है, क्योंकि केवल योगी ही जानता है कि स्वेच्छा-मृत्य से, मृत्यु को स्वेच्छा से स्वीकार करने से अनंत जीवन का द्वार खुल जाता है। केवल योगी जानता है त्य् एक द्वार है; वह अंत नहीं है। असल में वह शुरुआत है। असल में उसके पार खुलता है भगवत्ता का अनंत विस्तार। असल में उसके पार तुम पहली बार सच में प्रामाणिक रूप से जीवंत होते हो। न केवल तुम्हारा शारीरिक हृदय धड़कता है, बल्कि तुम ही धड़कते हो। न केवल तुम बाहरी चीजों का सुख लेते हो, तुम भीतर के आनंद में भी डुबकी लगाते हो। मृत्यु के द्वार से सनातन जीवन, शाश्वत जीवन प्रवेश करता है। प्रत्येक व्यक्ति मरता है, लेकिन तब मृत्यु तुम्हारा चुनाव नहीं होती, तब तो मृत्यु जबरदस्ती थोपी गई होती है तुम पर। तुम्हारी मर्जी नहीं होती है : तुम प्रतिरोध करते हो, तुम चीखते-चिल्लाते हो, तुम रोते हो; तुम थोड़ी देर और रुके रहना चाहते हो इस धरती पर, इस शरीर में। तुम भयभीत होते हो। तुम अंधेरे के सिवाय, अंत के सिवाय और कुछ नहीं देख पाते। प्रत्येक व्यक्ति बिना मर्जी के मरता है, लेकिन तब मृत्यु द्वार नहीं होती है। तब तो तुम भयभीत होकर आंखें बंद कर लेते हो। जो लोग योग के मार्ग पर हैं, उनके लिए मृत्य् एक स्वैच्छिक घटना है, वे सहर्ष स्वीकार करते हैं उसे। वे आत्मघाती नहीं हैं; वे जीवन-विरोधी नहीं हैं; वे विराट जीवन के पक्ष में हैं। वे विराट जीवन के लिए अपने क्षुद्र जीवन को छोड़ते हैं। वे अपना अहंकार छोड़ते हैं ज्यादा बड़ी आत्मा के लिए। वे अपनी आत्मा भी छोड़ देते हैं परमात्मा के लिए। वे सीमित को छोड़ते हैं असीमित के लिए। और यही
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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