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________________ इस आदमी को मनोचिकित्सा की जरूरत है। शायद इस आदमी को किसी मठ में जाकर दो साल तक ध्यान करने की जरूरत है। लेकिन फांसी नहीं-क्योंकि फांसी.. यदि हत्या करना बुरा है, तो न्याय के नाम पर हत्या करना भी बुरा है; यह अच्छा नहीं हो सकता। लेकिन जज बड़े गंभीर होते हैं; राजनीतिज्ञ बड़े गंभीर होते हैं-ससार का सारा बोझ उनके कंधों पर है! संसार में हर जगह वे सोचते रहते हैं : 'माओत्से-तुंग के बाद कौन?' जैसे कि माओत्से-तुंग के पहले संसार था ही नहीं। संसार बहुत सुखी था। असल में संसार ज्यादा सुखी हो जाएगा यदि सारे माओत्से-तुंग विलीन हो जाएं। मैं इधर एक पुस्तक पढ़ रहा था, बड़ी अदभुत पुस्तक है। लेखक कहता है कि भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता यदि गांधी न होते। मैं थोड़ा चकित हुआ, लेकिन फिर मैंने उसके तर्क को समझा और मुझे लगा कि वह ठीक कहता है। गांधी ने बात-बात पर मुसीबत खड़ी की-जिद्दी, अड़ियलसारे राजनीतिज्ञ ऐसे होते हैं। बड़ी मुसीबत खड़ी की उन्होंने। उन्होंने कभी किसी चीज पर समझौता नहीं किया। उनके अपने रंग-ढंग थे, जिन्ना के अपने रंग-ढंग थे। वे समझौता नहीं कर सकते थे। दोनों जिददी थे, अड़ियल थे-पत्थर की तरह। ऐसा लगता है कि लेखक के पास एक अंतर्दृष्टि है जब वह कहता है कि भारत और पहले स्वतंत्र हो गया होता यदि कोई गांधी और कोई जिन्ना न होते। और यदि तथाकथित धर्म न होते तो भारत कभी परतंत्र न होता। यदि राजनीतिज्ञ समाप्त हो जाएं संसार से, तो पूरा संसार स्वतंत्र हो जाए; स्वतंत्रता के लिए लड़ने की जरूरत ही न रहे. पूरा संसार स्वतंत्र ही होगा। यदि पंडित-पुरोहित विदा हो जाएं और ये गंभीर चर्च-जो जीवन की बजाय मृत्यु जैसे ज्यादा लगते हैं-अगर ये विदा हो जाएं और नृत्य के, आनंद के, समाधि के मंदिर निर्मित हों, तो संसार ज्यादा धार्मिक होगा। तो जब तुम कहते हो, ' अब, कभी-कभी, आप प्रवचन के दौरान हंसते हैं।' तो मुझे लगता है कि मैं जरूर ज्यादा धार्मिक हो रहा होऊंगा। वरना और तो कोई कारण दिखाई नहीं पड़ता। चौथा प्रश्न : विजय आनंद को सौ प्रतिशत पक्का था कि उसकी फिल्म 'जान हाजिर है' बहुत सफल होगी क्योंकि उसके गुरु उसकी आशातीत सफलता के लिए भविष्यवाणी कर चुके थे। फिल्म असफल हो गई क्या गुरुजी कृपा करके इसे स्पष्ट करेने मूत्र – प्रश्न है 'स्टारडस्ट' पत्रिका से।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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