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________________ रहे होते हैं, तुम्हारी गहराई से आ रहे होते हैं या फिर हंसो खूब दिल खोल कर हंसों मंदिर के देवता के साथ। तालमुद में कहा गया है.. और तालमुद एक अदभुत ग्रंथ है। गीता है, बाइबिल है, कुरान है - सारे ग्रंथ गंभीर हैं तालमुद बहुत अदभुत है तालमुद में कहा गया है, 'ईश्वर उन लोगों से प्रेम करता है जो दूसरों को हंसाते हैं।' तुम कल्पना नहीं कर सकते ऐसे धर्मग्रंथ की जो यह कहे, 'ईश्वर उन लोगों से प्रेम करता है जो दूसरों को हंसाते हैं। वे असली संत हैं। बोझिल है; कृपा करके यदि तुम लोगों को गंभीर बनाते हो तो तुम पापी हो। संसार पहले से ही हु इसे और बोझिल मत बनाओ। थोड़ी हंसी-खुशी बिखेरो। जहां भी तुम हो, वहां हंसी की एक तरंग निर्मित करो। थोड़ा और मुस्कुराओ और दूसरों की मदद करो मुस्कुराने में यदि सारा संसार खिलखिला कर हंस सके, तो युद्ध विदा हो जाएं, क्योंकि युद्ध संचालित किए जाते हैं गंभीर व्यक्तियों द्वारा अदालतें विदा हो जाएं, क्यों अदालतें चलती हैं गंभीर व्यक्तियों द्वारा इसीलिए तो यदि तुम किसी अदालत में हंस दो तो यह अपराध माना जाता है। कोई अदालत इसकी आज्ञा नहीं देती-तुम अपमान कर रहे हो अदालत का प्रत्येक को गंभीर रहना पड़ता है जरा देखो अदालतो में बैठे जजों की तरफ : वे कितने मूढ़तापूर्ण ढंग से गंभीर दिखाई पड़ते हैं! थोड़ी हंसी उन्हें मदद देगी ज्यादा न्यायसंगत होने में, मनुष्य को ज्यादा गहरे से समझने में उनकी उदासीनता, उनका ठंडापन न्याय नहीं कर सकता है, क्योंकि ठंडापन अमानवीय होता है। थोड़ी सी ऊष्मा..। - लेकिन जज डरता है। यदि अदालत में खड़ा चोर हंसने लगे, और जज भी शामिल हो जाए उसमें, और सारी अदालत हंसने लगे तो जज डरता है क्योंकि तब मामला बहुत मानवीय हो जाएगा; और इस हंसते हु चोर को चार-पांच साल के लिए जेल में डाल देना कठिन हो जाएगा। किसी बड़ी बात के लिए नहीं उसने कुछ पैसे ही चुराए हैं। उसने थोड़ी सी माया चुरा ली है, और जज शायद वेदांती हो। - तो उसने थोड़ा भ्रम चुराया है- पैसे, हीरे-जवाहरात - और उसे जेल में डाल देना! बेजान हीरों के लिए एक जीवंत प्राणी को पांच साल के लिए फेंक देना अंधेरे में सड़ने के लिए! या किसी गहरे क्रोध में, आवेश में, किसी पागलपन में शायद उसने हत्या कर दी हो। जज भी कई बार हत्या करने की सोचते रहते हैं। ऐसा आदमी खोजना कठिन है जिसने कई बार अपने जीवन में किसी की हत्या करने की बात न सोची हो। यह विचार आ जाना मानवीय है। " मैं कह रहा हूं कि जाओ और किसी की हत्या कर दो, और मैं नहीं कह रहा हूं कि जजों को माफ कर देना चाहिए हत्या करने वालों को नहीं लेकिन थोड़ी हंसी मदद देगी। एक व्यक्ति की हत्या हो गई है यदि जज थोड़ा हंस सके और अदालत में बैठे लोग भी थोडा हंस सर्के जज के साथ, तो उसके लिए कठिन होगा अपराधी को फांसी की सजा देना। क्योंकि वह भी हत्या है, और कैसे तुम कोई व्यवस्था निर्मित कर सकते हो जब एक हत्या के लिए अदालत दूसरी हत्या का निर्णय दे? शायद
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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