SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 305
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इन्हें मैं तपश्चर्या कहता हूं।'तपश्चर्या' का मतलब शरीर को सताना नहीं है। इसका मतलब है शरीर में ऐसी जीवंत अग्नि. का निर्माण करना जिससे शरीर शुद्ध हो जाए। जैसे तुमने सोना डाल दिया हो अग्नि में तो वह सब जो सोना नहीं होता, जल जाता है; केवल शुद्ध, खरा सोना बच रहता है।'तपश्चर्या अशुद्धियों को मिटा देती है। और इस प्रकार हुई शरीर तथा इंद्रियों की परिपूर्ण शुद्धि के साथ शारीरिक और मानसिक शक्तियां जाग्रत होती हैं।' जब शरीर शुद्ध हो जाता है, तब तुम पाओगे कि बड़ी अदभुत शक्तियां जाग्रत हो रही हैं, तुम्हारे सामने नए आयाम खुल रहे हैं। अचानक नए द्वार, नई संभावनाएं खुल जाती हैं। शरीर में बड़ी शक्ति छिपी है। जब वह निर्मुक्त होती है, तो तुम भरोसा न कर पाओगे कि शरीर में इतनी शक्ति छिपी थी। और प्रत्येक इंद्रिय के पीछे एक सूक्ष्म इंद्रिय होती है। आंखों के पीछे एक सूक्ष्म दृष्टि होती है - एक अंतर्दृष्टि। जब आंखें शुद्ध होती हैं, निर्मल होती हैं, तो तुम चीजों को केवल वैसा ही नहीं देखते जैसी कि वे सतह पर दिखाई देती हैं। तुम उनको गहराई में देखने लगते हो। एक नया ही आयाम खुल जाता है। अभी तो जब तुम किसी व्यक्ति को देखते हो, तो तुम उसके आभा –मंडल को नहीं देखते; तुम केवल उसके शरीर को देखते हो। इस भौतिक शरीर के चारों ओर एक लक्ष्म आभा – मंडल तो है। एक धीमा प्रकाश छाया रहता है शरीर के चारों तरफ। और प्रत्येक व्यक्ति का आभा-मंडल अलग रंग का होता है। जब तुम्हारी आंखें स्वच्छ हो जाती हैं, तो तुम उस आभा-मंडल को देख सकते हो, और आभा-मंडल को देख कर तुम उस व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ जान सकते हो, जो तुम किसी और ढंग से नहीं जान सकते। और वह व्यक्ति तुम्हें धोखा नहीं दे सकता है, धोखा देना असंभव है, क्योंकि उसका आभा-मंडल उसके भीतर के भाव को प्रकट कर देता है। कोई आता है बेईमानी के, झूठ के आभा-मंडल के साथ और तुम्हें भरोसा दिलाना चाहता है कि वह बड़ा ईमानदार आदमी है। आभा-मंडल धोखा नहीं दे सकता है, क्योंकि वह आदमी आभा-मंडल को नियंत्रित नहीं कर सकता। यह बात संभव नहीं है। झूठ का आभा-मंडल अलग रंग का होता है। ईमानदार आदमी के आस-पास छाए प्रकाश का रंग अलग होता है। शुद्ध व्यक्ति का आभा-मंडल बिलकुल शुभ्र होता है। जितना ज्यादा अशुद्ध होता है व्यक्ति, उतनी शुभ्रता कम होती जाती है और अंधेरा बढ़ता जाता है। जो व्यक्ति नितांत झूठा होता है, उसका आभा-मंडल बिलकुल काला होता है। बेचैन व्यक्ति का आभा-मंडल बदलता रहता है, वह एक जैसा नहीं रहता। यदि तुम कुछ मिनट उसे देखते रहो, तो तुम पाओगे कि आभा-मंडल बदल रहा है। वह व्यक्ति भ्रमित है, उलझा हुआ है। उसे स्वयं भी पक्का पता नहीं है कि वह क्या है। उसका आभामंडल बदलता रहता है।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy