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________________ कहीं से भी नहीं। फ्राम नोव्हेअर! और यह शब्द 'नोव्हेअर' दो शब्दों में बांटा जा सकता है, तब यह बन जाता है-'नाउ हिअर'। ये दो संभाव्य उत्तर हैं। दोनों सच हैं। क्योंकि दोनों का अर्थ एक ही है। तुम 'नोव्हेअर' से आते हो या तुम 'नाउ हिअर' से आते हो। जब तुम पूछते हो, 'कहा से?' तो तुम जानना चाहते हो शुरुआत के विषय में। लेकिन कोई शुरुआत है नहीं। तुम सदा से हो, तुम सदा रहोगे। अस्तित्व आदिहीन है, अंतहीन है। ऐसा नहीं है कि कभी वह शुरू हुआ। ऐसा संभव नहीं, क्योंकि यदि अस्तित्व कभी, किसी तारीख को, किसी दिन शुरू हुआ-जैसा कि ईसाई कहते हैं कि यह जीसस से चार हजार चार वर्ष पहले शुरू हुआ तो इसका अर्थ हुआ कि समय अस्तित्व से पहले भी था। यह बात मूढ़तापूर्ण होगी, क्योंकि समय अस्तित्व का ही हिस्सा है। इसका अर्थ हआ कि अवकाश, स्पेस अस्तित्व के पहले था-अन्यथा कहो रखोगे तुम इस नई रचना को? और स्पेस अस्तित्व का ही हिस्सा है। वैज्ञानिक कहते हैं, वस्तुत: अवकाश और समय, स्पेस और टाइम ही अस्तित्व है। इसलिए समय शुरू नहीं हो सकता, क्योंकि तब दूसरे समय की आवश्यकता होगी। तब तुम पूछोगे, 'कब शुरू हुआ यह समय?' चार हजार चार वर्ष पहले? सोमवार को, सुबह छह बजे? तब तो समय पहले से ही था; अन्यथा कैसे तुम जानते कि यह सोमवार है, और कैसे पता चलता तुम्हें कि इतवार गुजर गया, और कैसे तुम जानते कि सुबह के छह बजे हैं? नहीं, समय की कोई शुरुआत नहीं हो सकती, क्योंकि तब दूसरे समय की आवश्यकता पड़ती है। और यदि तुम कहते हो, 'ठीक है, हम दूसरे समय को मान लेते हैं।' तब इस दूसरे समय की शुरुआत नहीं हो सकती। फिर उससे आगे एक और समय की आवश्यकता होगी। तुम एक अनंत कम में जा पड़ते हो। तुम एक निरर्थक तर्कजाल में पड़ जाते हो जिससे कुछ हल नहीं होता। तो शुरुआत कहीं है नहीं। और यदि शुरुआत नहीं है तो कोई अंत नहीं हो सकता, क्योंकि जो चीज कभी शुरू नहीं हुई, वह समाप्त नहीं हो सकती। कैसे होगी वह समाप्त? तो तुम कहीं से नहीं आते। यह एक उत्तर हुआ कि तुम कहीं से नहीं आते; तुम सदा से यही हो। इससे एक दूसरी और ज्यादा संगत बात आती है. 'नोव्हेअर' को तोड दो 'नाउ हिअर' में। मैंने एक कहानी सुनी है। एक नास्तिक था, और वह वकील था और बहुत तार्किक था। और अपने विश्वास की घोषणा करने के लिए उसने बड़े-बड़े अक्षरों में दीवार पर लिख रखा था, ताकि जो भी आए जान ले-उसने बड़े-बड़े अक्षरों में दीवार पर लिख रखा था 'गॉड इज नोव्हेअर' ईश्वर कहीं नहीं है। फिर वह पिता बना; उसके घर एक बच्चा पैदा हुआ। और उस बच्चे ने लिखना-पढ़ना शुरू किया। लेकिन इतने बड़े शब्द 'नोव्हेअर' का उच्चारण उसके लिए कठिन था। तो वह बच्चा पढ़ता था वह
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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