SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 186
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सकती है आनंद, क्योंकि पीड़ा वही ऊर्जा है जो आनंद बनती है; ऊर्जा अलग नहीं है। तुम्हें बस इतना जानना है कि उसे कैसे रूपांतरित किया जाए। और इसमें कोई दमन नहीं होता, क्योंकि क्रोध की सारी ऊर्जा करुणा बन जाती है, दमन करने के लिए कुछ बचता ही नहीं। असल में तुमने उसका उपयोग कर लिया होता है करुणा में। 11णि मग अभिव्यक्ति के दो ढंग हैं। पश्चिम में अब रेचन पर, केथार्सिस पर बहुत जोर है। एनकाउंटर युप, प्राइमल थैरेपी-सभी में रेचन पर जोर दिया जाता है। मेरा अपना सक्रिय-ध्यान भी एक रेचन की विधि है, क्योंकि लोगों ने सब्लिमेशन की, रूपांतरण की कुंजी खो दी है। पतंजलि रेचन की तो बिलकुल बात ही नहीं करते। क्यों वे इस बारे में कोई बात नहीं करते? क्योंकि लोगों के पास कुंजी थी, एक कुशलता थी। वे जानते थे कि ऊर्जा को कैसे रूपांतरित कर लेना। तुम भूल चुके हो, इसलिए मुझे तुम्हें रेचन सिखाना पड़ता है। क्रोध है, उसे करुणा में रूपांतरित किया जा सकता है, लेकिन तुम्हें खयाल नहीं कि कैसे करें? और यह कोई कला नहीं जो सिखाई जा सकती हो; यह एक कुशलता है। तुम्हें इसे करना पड़ता है, और करके ही सीखना होता है, और कोई उपाय नहीं है। यह तैरने जैसा है : तुम्हें हाथ-पैर मारने होते हैं और गलतियां करनी होती हैं, और कई बार खतरे में पड़ना होता है, और कई बार तुम अनुभव करोगे, कि गए, मारे गए, डूबे। तुम्हें गुजरना होता है इस सब अनुभव से, और तब एक कुशलता आती है, तब तुम जानते हो कि यह क्या है। और यह इतनी आसान बात है-तैरना। -क्या तुमने ध्यान दिया? कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें तुम सीख सकते हो, लेकिन तुम भूल नहीं सकते। तैरना उन बातो में से एक है. या फिर साइकिल चलाना। तम सीख सकते हो. लेकिन तम 3 सकते। दूसरी बहुत सी चीजें तुम सीख सकते हो और भूल सकते हो। हजारों बातें तुमने सीखीं स्कूल में; अब तुम करीब-करीब सब भूल चुके हो। स्कूल की ढेरों पढ़ाई बेकार गई मालूम पड़ती है। लोग सीखते रहते हैं, और फिर किसी को कुछ याद नहीं रहता। बस परीक्षा देने भर के लिए..... फिर खत्म हो जाती है बात; फिर कुछ याद नहीं रहता। लेकिन तैरना तुम नहीं भूल सकते। यदि तुम पचास साल भी नदी में न उतरो और अचानक तुम्हें पानी में उतार दिया जाए, तो तम तैरने लगोगे हमेशा की तरह कुशलता से-एक पल को भी तुम हिचकिचाओगे नहीं कि क्या करना है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि यह एक कुशलता है, एक नैक है। इसे भुलाया नहीं जा सकता। यह कोई सीखी हुई बात नहीं है; यह कोई कला नहीं है। और सब सीखने को, कला को भुलाया जा सकता है, लेकिन कुशलता, नैक कुछ ऐसी बात है जो तुम्हारे अस्तित्व में इतने गहरे उतर जाती है कि वह तुम्हारा हिस्सा बन जाती है। ऊर्जा का रूपांतरण ऐसी ही एक कुशलता है।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy