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________________ और तीसरा हिस्सा और आप से पहले युगों-युगों में ऐसा कोई गुरु क्यों नहीं हुआ जिसने कि पिछले बुद्ध पुरुषों की सारी शिक्षाओं को जोड़ा और संश्लेषित किया हो?" अब तक कोई जरूरत न थी, अब जरूरत है। अतीत में संसार बंटा हुआ था, संसार बहुत बड़ा था। लोग अपने-अपने देशों की सीमाओं में रहते थे। शिक्षाएं एक-दूसरे के प्रभाव में न आती थीं एक मुसलमान जीता था मुसलमान की भांति उसे कुछ पता न था कि वेद क्या कहते हैं; एक हिंदू जीता था हिंदू की भांति, वह कभी न जानता कि जरथुस्त्र ने क्या कहा है। लेकिन अब संसार हु छोटा हो गया है, एक ग्लोबल विलेज संसार बहुत सिकुड़ गया है। अब हर कोई हर किसी चीज के बारे में जाता है। एक ईसाई केवल ईसाई ही नहीं है, वह जानता है कि गीता क्या कहती है; वह जानता है कि कुरान क्या कहती है। अब भ्रम पैदा हो गया है; क्योंकि कुरान कुछ कहती है, गीता कुछ कहती है, बाइबिल कुछ और ही कहती है अब प्रत्येक को पता है आस-पास की हर चीज लोग एक देश से दूसरे देश जाते रहते हैं, एक शिक्षक से दूसरे शिक्षक के पास यात्रा करते रहते हैं। यहां बहुत से हैं जो कई शिक्षकों के पास रह चुके हैं; अब वे भ्रमित हैं। इसलिए अब एक बड़े संश्लेषण की जरूरत है। भविष्य में धर्म अलग अलग नहीं रह पाएंगे नहीं, यह बात असंभव हो जाएगी। मैं तो एक नए मंदिर की नींव रख रहा हूं - जो चर्च भी होगा, मस्जिद भी होगा, गुरुद्वारा भी होगा। मैं उस धार्मिक व्यक्ति का आधार रख रहा हूं जो न ईसाई होगा, न हिंदू होगा, न मुसलमान होगा - केवल धार्मिक होगा। अब समय पक गया है एक बड़े संश्लेषण के लिए; ऐसा पहले कभी न हुआ था। - - बुद्ध उन लोगों से बोल रहे थे जो मुसलमान न थे। जीसस उन लोगों से बोल रहे थे जो यहूदी थे, जीसस ऐसे बोलते हैं जैसे कि यहूदियों के अतिरिक्त और कोई है ही नहीं। वे यहूदियों से बोल रहे थे। लेकिन मैं किससे बोल रहा हूं? यहां यहूदी हैं, ईसाई हैं, मुसलमान हैं, जैन हैं, बौद्ध हैं, सिक्ख हैं सब हैं। तुम यहां संसार का एक लघु रूप हो। जल्दी ही जैसे-जैसे लोग एक-दूसरे को ज्यादा समझेंगे, भिन्नताएं खो जाएंगी। जब कोई ईसाई गीता को सच में ही समझेगा तो गीता और बाइबिल के बीच का भेद खो जाएगा: एक संवाद निर्मित होगा। इसीलिए मैं कोशिश कर रहा हूं सारी धर्म - पद्धतियों और सारे गुरुओं पर बोलने की, ताकि एक आधार निर्मित हो सके। उस आधार पर खड़ा होगा भविष्य का मंदिर, भविष्य का धार्मिक व्यक्ति। वह ईसाई नहीं होगा। असल में भविष्य में यदि कोई ईसाई हुआ तो वह थोड़ा दकियानूसी मालूम पड़ेगा, और यदि कोई हिंदू हुआ तो वह कुछ नासमझ मालूम पड़ेगा, और यदि कोई तब भी कहे कि वह मुसलमान है तो वह समसामयिक नहीं होगा- एक मृत व्यक्ति होगा। भविष्य उस धर्म का है जिसमें कि सारे धर्म समाहित हो जाएंगे और सम्मिलित हो जाएंगे और घुल-मिल जाएंगे।
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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