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________________ इसीलिए स्त्रियों की आंखें ज्यादा सुंदर होती हैं, क्योंकि वे अभी भी रो सकती हैं। पुरुष ने अपनी आंखों की चमक खो दी है, क्योंकि उनके पास गलत धारणा है कि पुरुषों को रोना नहीं चाहिए। यदि कोई छोटा लड़का भी रोता है तो दूसरे लोग, यहां तक कि मां-बाप भी कहते हैं, 'क्या कर रहे हो तुम? क्या लड़कियों जैसे रो रहे हो?' कितनी नासमझी चल रही है! क्योंकि ईश्वर ने तो तुम्हें - स्त्री- - पुरुष दोनों को - एक जैसी अश्रु – ग्रंथियां दी हैं। यदि पुरुष को रोना नहीं होता, तो अश्रु ग्रंथियां ही न दी होतीं । सीधा-साफ गणित है। पुरुष में उसी अनुपात में अश्रु ग्रंथियां क्यों हैं जितनी स्त्री में हैं? - , आंखों को जरूरत है रोने की आंसुओ की, और बहुत ही सुंदर बात है यदि तुम पूरे हृदय से रो सको और आंसू बहा सको। ध्यान रहे, यदि तुम रो नहीं सकते पूरे हृदय से, तो तुम हंस भी नहीं सकते, क्योंकि वह दूसरा छोर है जो लोग हंस सकते हैं, वे रो भी सकते हैं; जो लोग रो नहीं सकते, वे हंस भी नहीं सकते। और तुमने कभी ध्यान दिया होगा बच्चों की इस बात पर यदि वे जोर से और ज्यादा देर तक हंसते हैं तो उनके आंसू आ जाते हैं। क्योंकि दोनों चीजें जुड़ी हुई हैं। गांवों में मैंने सुना है माताएं बच्चों से कहती हैं : 'बहुत ज्यादा मत हंसो, वरना तुम रोने लगोगे ।' वस्तुतः सच है बात, क्योंकि घटना अलग नहीं है - वही ऊर्जा विपरीत ध्रुव की ओर चली जाती है। तो दूसरी बात : मुखौटे मत पहनना, सच्चे रहना- किसी भी मूल्य पर । जो और तीसरी बात प्रामाणिकता के संबंध में सदा वर्तमान में रहना- क्योंकि सारा झूठ प्रवेश करता है या तो अतीत से या फिर भविष्य से बीत चुका वह बीत चुका उसकी फिक्र मत करना और उसे किसी बोझ की भांति मत ढोना अन्यथा वह तुम्हें वर्तमान के प्रति प्रामाणिक न होने देगा। और जो अभी घटा नहीं, वह तो अभी घटा ही नहीं भविष्य के लिए अनावश्यक रूप से चिंतित मत होना; अन्यथा वह वर्तमान में आ जाएगा और उसे नष्ट कर देगा। वर्तमान के प्रति सच्चे रहना, और तब तुम प्रामाणिक होओगे। यहीं और अभी होना प्रामाणिक होना है। कोई अतीत नहीं, कोई भविष्य नहीं यही क्षण है सब कुछ, यही क्षण है संपूर्ण शाश्वतता । ये तीन बातें, और तुम उसे उपलब्ध हो जाते हो, जिसे पतंजलि सत्य कहते हैं। तब जो कुछ भी तुम कहोंगे, सच होगा। साधारणत: तुम सोचते हो कि तुम्हें सच कहने के लिए सजग रहना होता है। मैं यह नहीं कह रहा हूं। मैं यह कह रहा हूं : तुम प्रामाणिकता निर्मित करो - फिर जो कुछ भी तुम कहते हो, वह सच होगा। एक प्रामाणिक व्यक्ति झूठ नहीं बोल सकता है; वह जो भी कहता है, सच होगा। : योग में हमारी एक परंपरा है- शायद तुम्हारे लिए इस पर विश्वास करना भी संभव न हो; मैं विश्वास करता हूं क्योंकि मैंने इसे जाना है, मैंने इसे अनुभव किया है यदि एक सच्चा प्रामाणिक व्यक्ति झूठ भी बोल दे, तो वह झूठ सच हो जाएगा, क्योंकि प्रामाणिक व्यक्ति झूठ बोल नहीं सकता। इसीलिए पुराने शास्त्रों में कहा गया है, 'यदि तुम प्रामाणिकता का अभ्यास कर रहे हो, तो किसी के
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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