SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आर्थिक रूप से ज्यादा काम की बात है इंजीनियर होना। पिता भी ठीक कहते हैं कि डाक्टर बन जाओ; यह उपयोगी है बाजार में। बाजार में इसकी कीमत है।'कवि? क्या तुम पागल हो गए हो? क्या तुम बुद्धि गंवा बैठे हो?' कवि अनादृत व्यक्ति हैं, कोई उन्हें नहीं चाहता। उनकी कोई जरूरत नहीं है। काव्य के बिना संसार चल सकता है। काव्य के खो जाने से कोई तकलीफ न होगी। लेकिन यह संसार इंजीनियरों के बिना नहीं चल सकता; संसार चलाने के लिए बहुत इंजीनियरों की जरूरत है। यदि तुम्हारी जरूरत है, तो तुम मूल्यवान हो; यदि तुम्हारी जरूरत नहीं है, तो तुम्हारा कोई मूल्य नहीं है। लेकिन यदि तुम कवि होना चाहते हो तो कवि हो जाओ। तुम शायद भिखारी रहोगे। ठीक है। तुम कविता करके बहुत धनवान नहीं हो सकते-फिक्र मत करो, क्योंकि हो सकता है तुम बड़े इंजीनियर बन जाओ और शायद तुम बहुत धन भी कमा लो, लेकिन तुम्हें कभी कोई तृप्ति न होगी। तुम सदा प्यासे रहोगे; तुम्हारे प्राण कवि होने के लिए तड़पते रहेंगे। मैंने सुना है कि एक बड़े वैज्ञानिक, एक नोबल पुरस्कार विजेता सर्जन से पूछा गया, 'जब आपको नोबल पुरस्कार मिला, तब आप खुश नहीं दिखाई पड़ रहे थे। क्या बात है?' उसने कहा, 'मैंने तो सदा नर्तक बनना चाहा था। पहली तो बात यह कि मैं सर्जन कभी बनना ही नहीं चाहता था। और अब न केवल मैं सर्जन हो गया हूं मैं बहुत सफल सर्जन हो गया हूं और यह एक बोझ है। और मैं तो केवल नर्तक होना चाहता था और मैं एक मामूली सा नर्तक हूं-यही मेरी पीड़ा है, मेरा संताप है। जब भी मैं किसी को नृत्य करते देखता हूं तो मैं बहुत दुखी होता हूं बहुत पीड़ा अनुभव करता हूं। इस नोबल पुरस्कार का मैं क्या करूंगा? यह मेरे लिए कोई नृत्य तो नहीं हो सकता है; यह मुझे नृत्य नहीं दे सकता है।' ध्यान रखना, अपनी भीतर की आवाज के प्रति सच्चे रहना। हो सकता है यह तुम्हें खतरे में ले जाए; तो जाना खतरे में, लेकिन भीतर की आवाज के प्रति सच्चे रहना। तो एक संभावना है कि किसी दिन तुम उस अवस्था तक पहंच जाओगे जहां तम आंतरिक तृप्ति के साथ नृत्य कर सको। सदा ध्यान रखना, पहली बात है तुम्हारी अंतस सत्ता, और दूसरों को तुम्हें प्रभावित और नियंत्रित मत करने देना। और ऐसे बहुत हैं. हर कोई तैयार है तुम पर नियंत्रण करने के लिए; हर कोई तैयार है तुम्हें सुधारने के लिए; हर कोई तैयार है तुम्हें बिना मांगे सलाह देने के लिए। हर कोई तुम्हें तुम्हारे जीवन के लिए निर्देश दे रहा है। निर्देश तो तुम्हारे भीतर ही मौजूद है; तुम उसका नक्शा साथ लिए चलते हो। प्रामाणिक होने का अर्थ है स्वयं के प्रति सच्चे होना। यह बहुत खतरनाक बात है; विरले व्यक्ति ही ऐसा कर सकते हैं। लेकिन जब भी लोग ऐसा करते हैं तो उन्हें बहुत मिलता है। वे एक ऐसा सौंदर्य पा लेते हैं, ऐसा प्रसाद, ऐसी
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy