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________________ हो रहा है, क्योंकि बच्चे नहीं होते। उनकी जरूरत होती है एक गहन थैरेपी के रूप में। वे एक जोड्ने वाली कड़ी होते हैं; वे मदद देते हैं रेचन में । खयाल रहे, कभी भी किसी बुरे कारण के लिए अच्छी बात मत करना, क्योंकि वह बात अच्छी नहीं रहती और तुम धोखा ही दे रहे होते हो। अहिंसा है पहली बात - प्रेम सदा पहली बात है। और यदि तुम सीख लेते हो कि प्रेम कैसे करना है, तो तुम सब सीख लेते हो। धीरे- धीरे वही प्रेम तुम्हारे चारों ओर का एक आभा - मंडल बन जाता है : जहां कहीं तुम जाते हो, एक प्रसाद तुम्हारे साथ रहता है; जहां भी तुम जाते हो, आनंद की भेंट साथ लिए जाते हो, तुम बांटते हो अपने प्रेम को। अहिंसा कोई नकारात्मक बात नहीं है; वह प्रेम की एक विधायक अनुभूति है। अहिंसा शब्द नकारात्मक है। शब्द नकारात्मक है क्योंकि लोग हिंसक हैं, और हिंसा उनके व्यक्तित्व में इतनी विधायक घटना बन गई है कि किसी नकारात्मक शब्द की जरूरत है उसे नकार देने के लिए। लेकिन केवल शब्द नकारात्मक है; घटना विधायक है वह है प्रेम 'अहिंसा, सत्य.....|' सत्य का अर्थ है-प्रामाणिकता, सच्चे रहना, झूठ में न जीना, मुखौटों का उपयोग न करना, जो भी तुम्हारा वास्तविक चेहरा हो उसे प्रकट करना, चाहे कुछ भी कीमत चुकानी पड़े। ध्यान रहे, इसका यह अर्थ नहीं कि तुम्हें दूसरों के मुखौटे उतारने हैं, यदि वे प्रसन्न हैं अपने झूठ के साथ तो यह उनके निर्णय की बात है। जाकर किसी का मुखौटा मत उतार देना, क्योंकि लोग इसी ढंग से चलते हैं। वे सोचते हैं कि उन्हें प्रामाणिक होना है; उसका मतलब वे समझते हैं कि उन्हें जाकर नग्न कर देना है प्रत्येक व्यक्ति को क्यों तुम छिपा रहे हो अपना शरीर? इन कपड़ों की कोई जरूरत नहीं ।' नहीं, कृपा करके ध्यान रखना : स्वयं के प्रति सच्चे रहना । तुम्हें संसार में किसी दूसरे का सुधार करने की कोई जरूरत नहीं । यदि तुम स्वयं विकसित हो सकते हो, तो पर्याप्त है। सुधारक मत बनना और दूसरों को सिखाने की कोशिश मत करना और दूसरों को बदलने की कोशिश मत करना। यदि तुम बदल गए, तो उतना संदेश पर्याप्त है। प्रामाणिक होने का अर्थ है अपने अंतस के प्रति सच्चे रहना। कैसे रहें सच्चे? तीन बातें ध्यान में ले लेनी हैं। पहली, किसी की मत सुनो कि वे तुम्हें क्या होने के लिए कहते हैं; सदा अपने अंतस की आवाज को सुनो कि तुम क्या होना चाहते हो। अन्यथा तुम्हारा पूरा जीवन व्यर्थ हो जाएगा। तुम्हारी मां चाहती है कि तुम इंजीनियर बनो तुम्हारे पिता तुम्हें डाक्टर बनाना चाहते हैं और तुम खुद कवि बनना चाहते हो तो करो क्या? निश्चित ही मां ठीक कहती है, क्योंकि वह बात ज्यादा फायदे की है,
SR No.034097
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages431
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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