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________________ - अपने अनुभव द्वारा। एक आदमी कहने लगा, 'हाथी एक खंभे की भांति है।'-वह हाथी की टागों को छू रहा था। –और वह सही था। उसने अपने हाथों से छुआ था, और फिर उसने याद किया था, खंभों को; वह तो ठीक खंभों की भांति ही था। और इसी तरह ही, उन सबने व्याख्याएं की। ऐसा हुआ कि अमरीका में एक प्राथमिक पाठशाला में एक शिक्षिका ने लड़के-लड़कियों को एक कहानी सुनाई, बिना उन्हें बताए हुए कि वे पांच आदमी जो हाथी के पास आए थे, वे अंधे थे। कहानी मर तनी ज्यादा जानी-पहचानी थी, और शिक्षिका ने अपेक्षा रखी थी कि बच्चे समझ ही जाएंगे। फिर वह पूछने लगी, 'अब मुझे जरा बताओ वे पांच आदमी कौन थे, जो हाथी को देखने के लिए आए थे?' एक स्ढ़ौटे बच्चे ने अपना हाथ उठा दिया और बोला, 'विशेषज्ञ।' विशेषज्ञ सदा ही अंधे होते हैं। वह लड़का वस्तुत: एक खोजी था। यही है सारी कहानी का सार-तत्व। वास्तव में, वे विशेषज्ञ थे। क्योंकि एक विशेषज्ञ बहुत थोड़े के बारे में बहुत ज्यादा जानता है। वह अधिकाधिक संकुचित और संकुचित होता जाता है। विशेषज्ञ लगभग अंधा ही हो जाता है सारे संसार के प्रति, केवल एक खास दिशा में ही वह दृष्टि-संपन्न होता है। अन्यथा वह अंधा ही होता है। उसकी दृष्टि ज्यादा सीमित और ज्यादा सीमित और ज्यादा सीमित होती जाती है। जितना ज्यादा बड़ा होता है। विशेषज्ञ, उतनी ही सीमित होती है दृष्टि। एक परम विशेषज्ञ को संपूर्ण रूप से अंधा होना होता है। वे कहते है एक विशेषज्ञ वह आदमी होता है जो थोड़े के बारे में ज्यादा और ज्यादा जानता है। कुछ शताब्दियों पूर्व केवल हुआ करते थे चिकित्सक, डाक्टर, जो शरीर के बारे में सब कुछ जानते थे। विशेषज्ञ नहीं होते थे। अब, यदि तुम्हारे हृदय का कुछ बिगड़ा होता है तो तुम विशेषज्ञ के पास जाते हो, दात में कुछ बिगड़ा होता है, तो तुम चले जाते हो किसी दूसरे विशेषज्ञ के पास। मैंने सुनी है एक कथा कि एक आदमी आया डाक्टर के पास और बोला, 'मैं बहुत कठिनाई में हूं। मैं ठीक से देख नहीं सकता। हर चीज धुंधली जान पड़ती है।' डाक्टर कहने लगा, 'पहले आती हैं पहली चीजें। पहले तो मुझे बताओ तुम कि कौन सी आंख कठिनाई में है, क्योंकि मैं विशेषज्ञ हं केवल दायीं आंख का ही। यदि तुम्हारी बायीं आंख मुसीबत में है तो तुम दूसरे विशेषज्ञ के पास चले जाओ जो बस मुझसे अगले द्वार पर ही रहता है।' जल्दी ही बायीं आंख के विशेषज्ञ और दायीं आंख के विशेषज्ञ अलग हो जायेंगे। ऐसा ही होना है क्योंकि विशेषज्ञता होती जाती है ज्यादा सीमित, और ज्यादा सीमित, और ज्यादा सीमित। सारे विशेषज्ञ अंधे होते हैं। और अनुभव तुम्हें बना देता है एक विशेषज्ञ। सत्य जानने के लिए तुम्हें विशेषज्ञ नहीं होना है। सत्य को जानत्रे के लिए तुम्हें संकुचित, एकांतिक नहीं होना होता है। सत्य के साथ तालमेल बैठाने के लिए तुम्हें अलग रख देना होता है तुम्हारा सारा ज्ञान, एक ओर रख देना होता है उसे। और उसकी ओर देखना होता है एक बच्चे की आंखों द्वारा, किसी विशेषज्ञ की आंखों दवारा नहीं, क्योंकि वे आंखें तो सदा ही अंधी होती हैं। केवल एक बच्चे के
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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