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________________ बहुत धूल इकट्ठी हो चुकी है। कुछ गलत नहीं है इसमें; ऐसा होना ही है। धूल की परतें हैं और तुम सोचते हो कि वे परतें तुम्हारा व्यक्तित्व हैं। तुम्हारा इतना तादात्म्य हो गया है उनके साथ, इतने दिनों तक तुम जी लिए उन धूल की परतों के साथ कि वह तुम्हारी त्वचा की भांति लगती हैं। तुम्हारा तादात्म्य हो चुका होता है। मन है अतीत, स्मृति, धूल। हर कोई उसे एकत्रित कर लेता है। यदि तुम यात्रा करते हो तो तुम एकत्रित कर ही लोगे धूल। लेकिन उसके साथ तादात्म्य बनाने की कोई जरूरत नहीं है। यदि तुम एक हो जाते हो उसके साथ, तो तुम मुश्किल में पड़ोगे क्योंकि तुम धूल नहीं हो, तुम चेतना हो। उमर खैयाम कहता है, 'धूल से धूल तक। 'जब आदमी मर जाता है, तो क्या होता है? –धूल लौट जाती है धूल में। यदि तुम धूल मात्र हो, तो हर चीज वापस मिल जाएगी धूल में, कोई चीज पीछे नहीं छूटेगी। लेकिन क्या तुम मात्र धूल हो, धूल की परतें हो, या कि ऐसा कुछ तुम्हारे भीतर है जो कि धूल हरगिज नहीं है, पृथ्वी का बिलकुल नहीं है? वह है तुम्हारी चेतना, तुम्हारी जागरूकता। जागरूकता तुम्हारी सत्ता है, चेतना तुम्हारा होना है, और वह धूल जिसे जागरूकता स्वयं के चारों ओर एकत्रित कर रा मन है। धूल के साथ व्यवहार करने के दो ढंग हैं। साधारण धार्मिक ढंग है कपड़ों को साफ करना, तुम्हारे शरीर को मल-मल कर साफ करना। लेकिन वे विधिया कुछ ज्यादा मदद नहीं कर सकतीं। चाहे किसी भी तरह तुम साफ कर लो तुम्हारे कपड़ों को, कपड़े इतने गंदे हो चुके होते हैं कि वे फिर से ठीक होने के परे होते हैं। तुम साफ नहीं कर सकते उन्हें। इसके विपरीत जो कुछ भी तुम करते हो वह उन्हें ज्यादा गंदा बना देगा। ऐसा हआ : मल्ला नसरुददीन एक बार आया मेरे पास, और वह एक शराबी था। उसके हाथ खाना खाते समय, या चाय पीते समय कांपते रहते। हर चीज गिर जाती उस पर, इसलिए उसके सारे कपड़ों पर चाय और पान के, और भी ऐसी ही चीजों के दाग लगे हुए थे। तो मैंने कहा नसरुद्दीन से, 'तुम केमिस्ट के पास जाकर कुछ ले क्यों नहीं लेते? ऐसे सोल्यूशन हैं जिनसे कि ये दाग धोए जा सकते तो चला गया वह, और सात दिन के बाद वह वापस आया मेरे पास। उसके कपड़े बुरी हालत में थे, पहले से ज्यादा बुरी हालत में। मैंने पूछा, 'क्या बात है? क्या केमिस्ट के पास नहीं गये थे?' वह बोला, 'मैं गया था। और वह केमिकल, सोल्यूशन तो अद्भुत है! –काम करता है वह। चाय और पान के दाग चले गये हैं पर मुझे अब एक दूसरे सोल्यूशन की जरूरत है क्योंकि उस सोल्यूशन ने कुछ अपने दाग छोड़ दिए हैं!' धार्मिक लोग तुम्हें साबुन और केमिकल सोल्यूशन दे देते हैं धूल पोंछने को, साफ करने को ही, लेकिन फिर वे सोल्यूशन कुछ अपने दाग छोड़ देते हैं। इसलिए एक अनैतिक व्यक्ति बन सकता है नैतिक,
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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