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________________ कुछ कह रहा होता है। वह तुम्हें कभी यहीं नहीं होने देता। वह सदा तुम्हें भविष्य में सरकने को मजबूर कर रहा होता है। पीछे अतीत में जाओ और जब मैं पीछे अतीत में जाने को कहता हूं र तो मैं यह नहीं कह रहा कि तुम्हें अतीत का स्मरण करना चाहिए। स्मरण करना मदद न देगा, स्मरण करना एक नपुंसक प्रक्रिया है। यह भेद याद रखना है स्मरण से कोई मदद नहीं मिलती। वह शायद हानिकारक ही होगा - लेकिन यह पुन: जीना, वह समग्रतया विभिन्न है। भेद बहुत सूक्ष्म है। और उसे समझ लेना है। तुम कोई चीज याद करते हो तुम याद करते हो तुम्हारा बचपन । जब तुम बचपन याद करते तो तुम रहते हो यहीं और अभी तुम बच्चे नहीं बन जाते। तुम याद कर सकते हो, तुम बंद कर सकते हो तुम्हारी आंखें और तुम याद कर सकते हो जब कि तुम सात वर्ष के थे और दौड़ रहे थे बगीचे मेंतुम देखते हो उसे। तुम यहीं होते हो और अतीत दिखता है फिल्म की भाति, तुम दौड रहे हो, बच्चा दौड रहा है तितलियों को पकड़ने की कोशिश कर रहा है। तुम द्रष्टा हो और बच्चा दृश्य है नहीं, यह बात ठीक नहीं, यह स्मरण करना हुआ। यह बात नपुंसक है, यह मदद न देगी। घाव ज्यादा गहरे हैं। वे प्रकट नहीं किए जा सकते याद करने से, और स्मरण चेतन मन का ही एक हिस्सा बना रहता है। वह सब जो कि बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है छिपा रहा है अचेतन में, तो तुम याद करते हो केवल फिजूल बातें, या तुम याद करते हो केवल वे बातें जिन्हें तुम्हारा मन स्वीकार करता है। इसलिए हर व्यक्ति कहता है कि उसका बचपन एक स्वर्ग था। किसी का भी बचपन स्वर्ग न था। क्यों सब कहते हैं कि बचपन एक स्वर्ग था? तुम फिर से बच्चा बनना चाहोगे, लेकिन पूछो जरा बच्चों से। कोई बच्चा नहीं होना चाहता फिर से बच्चा हर बच्चा बड़ा होने की कोशिश कर रहा है और सोच रहा है कि कितनी जल्दी वह ऐसा कर सकता है कोई बच्चा बचपन से प्रसन्न नहीं, क्योंकि वह कहता है, 'बड़े शक्तिशाली हैं। हर बच्चा असहाय अनुभव करता है और असहायपन कोई अच्छी अनुभूति नहीं हो सकती है हर बच्चा यहा वहां से खींचा और धकियाया जा रहा अनुभव करता है, जैसे कि उसकी कोई स्वतंत्रता ही नहीं बचपन एक गुलामी जान पड़ता है। हर एक चीज के लिए उसे दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है। यदि उसे आइसक्रीम चाहिए तो उसे कहना पड़ता और मांगना पड़ता है और यह शिक्षा देने को हर कोई मौजूद है कि आइसक्रीम बुरी चीज है। बच्चा सोचता है, तो फिर ईश्वर बनाता ही क्यों है आइसक्रीम ?' वे सारी चीजें जिन्हें खाने के लिए मां-बाप उसे मजबूर करते हैं, बुरी होती हैं, वह उन्हें पसंद नहीं करता है और जिन सारी चीजों को वह खाना चाहता है, मां-बाप को बुरी लगती हैं। वे कहते हैं, 'यह तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी, तुम्हारा पेट खराब हो जाएगा, , और यह हो जाएगा। 'बच्चे को ऐसा जान पड़ता है कि सारे अच्छे- अच्छे विटामिन गंदी चीजों में डाल दिए गए हैं, और गंदी चीजें अच्छी चीजों में डाल दी गयी हैं। बच्चा बिलकुल खुश नहीं है। वह इस सारी व्यर्थ की मुसीबत को समाप्त कर देना चाहता है, वह बड़ा हो जाना चाहता है और एक स्वतंत्र व्यक्ति बनना चाहता है। लेकिन आगे चल कर ये ही बच्चे कहेंगे कि 'बचपन स्वर्ग था!' क्या घटित हुआ?
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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