SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 258
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रहता है। पतंजलि इसे कहते हैं अविद्या अविद्या का अर्थ है, जागरूकता की कमी। ऐसा घट रहा है। जागरूकता की कमी के कारण। सम्मोहन में क्या होता है? क्या तुमने कभी किसी सम्मोहनविद को ध्यान से देखा है, क्या करता है वह? पहले तो वह कहता है, 'रिलैक्स।' 'शिथिल हो जाओ!' और वह दोहराता है इसे वह कहता जाता है, 'रिलैक्स, रिलैक्स' – 'शिथिल हो जाओ, शिथिल हो जाओ।' , रिलैक्स की लगातार ध्वनि भी बन जाती है एक मंत्र, एक ट्रान्सेन्टल मेडिटेशन ऐसा ही होता है टी एम में। तुम लगातार एक मंत्र को दोहराते हो, वह नींद ले आता है। यदि तुम्हारे पास नींद न आ की समस्या हो, तो टी एम सबसे अच्छी बात है करने की। वह तुम्हें नींद देता है और इसलिए वह इतना महत्वपूर्ण हो गया है अमरीका में अमरीका ही एक ऐसा देश है जो इतना ज्यादा पीड़ा भोग रहा है नींद न आने के रोग से। वहां महर्षि महेश योगी कोई सांयोगिक घटना नहीं हैं, वे एक आवश्यकता हैं। जब लोग अनिद्रा से पीड़ित होते हैं तो वे सो नहीं सकते। उन्हें चाहिए शामक दवाएं। और भावातीत ध्यान और कुछ नहीं सिवाय शामक दवा (ट्रैक्विलाइजर) के, वह तुम्हें शांत करता है। तुम निरंतर दोहराते जाते हो एक निश्चित शब्द 'राम, राम, राम ।' कोई भी शब्द काम देगा, 'कोकाकोला, कोका-कोला' काम देगा वहां, उसका राम से कुछ लेना-देना नहीं है। 'कोका-कोला' उतना ही बढ़िया होगा जितना कि राम या कि उससे भी ज्यादा प्रासंगिक होता है। तुम एक निश्चित शब्द निरंतर दोहराते हो। निरंतर दोहराव एक ऊब निर्मित कर देता है, और ऊब आधार है सारी नींद का । जब तुम ऊब अनुभव करते हो, तो तुम तैयार होते हो सो जाने के लिए। एक सम्मोहनविद दोहराता जाता है, 'शिथिल हो जाओ।' वह शब्द ही व्याप्त हो जाता है तुम्हारे शरीर और अंतस में वह दोहराए जाता है उसे और वह तुमसे सहयोग देने को कहता है, और तुम सहयोग देते हो। धीरे-धीरे तुम उनींदापन अनुभव करने लगते हो। फिर वह कहता है, 'तुम उतर रहे हो गहरी नींद में उतर रहे हो, उतर रहे हो नींद के गहरे शून्य में उतर रहे हो।' वह दोहराता ही जाता है और मात्र दोहराने से तुम्हें नींद आने लगती है। यह एक अलग प्रकार की नींद होती है। यह कोई साधारण नींद नहीं होती, क्योंकि यह पैदा की गयी होती है, किसी ने इसे बहला फुसला कर निर्मित कर दिया है तुम में। क्योंकि इसे किसी ने निर्मित किया होता है, इसकी एक अलग ही गुणवत्ता होती है। पहला और बहुत आधारभूत भेद यह है कि तुम सारे संसार के प्रति सोए हुए होओगे, लेकिन सम्मोहनविद के लिए नहीं । अब तुम किसी चीज को न सुनोगे, अब तुम किसी और चीज को न सुन पाओगे। यदि एक बम भी फट पड़ेगा तो वह तुम्हारी शांति भंग न करेगा। रेलगाड़ियां गुजर जाएंगी हवाई जहाज ऊपर से गुजर जाएंगे, लेकिन कोई चीज तुम्हें अशांत नहीं करेगी। तुम कुछ नहीं सुन पाओगे। तुम सारे संसार के प्रति बंद होते हो, लेकिन सम्मोहनविद के प्रति खुले होते हो। यदि वह कुछ कहे तो तुम तुरंत सुन लोगे, तुम केवल उसे ही सुनोगे। केवल एक ग्राहकता बच रहती है - सम्मोहनविद, और सारा संसार बंद हो जाता है। जो कुछ
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy