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________________ प्रसन्नता द्वारा एक सेतु निर्मित होता है। गंभीरता द्वारा सारे सेतु टूट जाते हैं। तुम बन जाते किसी द्वीप की भांति-पहुंच के बाहर। चौथा प्रश्न : कई बार मैं सजग हुआ अनुभव करता हूं और कई बार नहीं सजगता धड़कती हुई जान पड़ती है। यह सजग धड़कन धीरे-धीरे मिटती है या क्या यह अकस्मात खो जाती है? जीवन में हर चीज एक लय है। तम प्रसन्न होते हो और फिर पीछे चली आती है अप्रसन्नता। रात और दिन, गर्मी और सर्दी; जीवन एक लय है दो विपरीतताओ के बीच की। जब तुम सजग होने का प्रयास करते हो तो वह लय वहा होगी : कई बार तुम जागरूक हो जाओगे और कई बार नहीं। समस्या मत खड़ी कर लेना, क्योंकि तुम समस्याएं खड़ी करने में इतने कुशल हो कि बेबात ही तुम बना सकते हो कोई समस्या। और एक बार जब तुम बना लेते हो कोई समस्या तब तुम उसे सुलझा लेना चाहते हो। फिर ऐसे लोग हैं, जो तुम्हें दे देंगे उत्तर। गलत समस्या सदा ही उत्तर पाती है किसी गलत उत्तर दवारा। और फिर यही बात चली चल सकती है अनंतकाल तक; एक गलत उत्तर फिर बना लेता है प्रश्नों को। एकदम आरंभ से ही असम्यक ' समस्या न बनने देने के लिए सजग होना होता है। अन्यथा पूरा जीवन ही चलता चला जाता है असम्यक दिशा की ओर। समस्या न बनाने की बात को सदा ही समझने की कोशिश करना। हर चीज स्पंदित होती है लय में। और जब मैं कहता हूं हर चीज, तो मेरा मतलब होता है हर एक चीज से ही। प्रेम होता है, और मौजूद होती है घृणा, सजगता-और मौजूद होती है असजगता। मत खड़ी कर लेना कोई समस्या; दोनों से आनंदित होना। जब सजग होते हो, तो आनंद मनाना सजगता का, और जब असजग होते हो तो आनंद मनाना असजगता का। कुछ गलत नहीं है, क्योंकि असजगता है विश्राम की भांति। अन्यथा, सजगता हो जाएगी एक तनाव। यदि तुम जागते रहते हो चौबीस घंटे, तो तुम क्या सोचते कि कितने दिन जी सकते हो तुम? बिना भोजन के आदमी जी सकता है तीन महीने तक, बिना नींद के वह तीन सप्ताह के भीतर पागल हो जाएगा। वह कोशिश करेगा आत्महत्या करने की। दिन में तुम जागते रहते, रात में तुम विश्राम करते और वह विश्राम तुम्हारी मदद करता दिन में ज्यादा सचेत और ज्यादा ताजा
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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