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________________ होते हो शांतिपूर्वक, तो तुम्हारी सत्ता का वह रूप, वह परिवर्तनशीलता ही दे देती है जीवन के प्रति इतनी शांतिपूर्ण, गहन संतुष्टि। वही है प्रार्थना; तुम धन्यवाद दे रहे होते हो। तुम्हारा धन्यवाद तुम्हारी प्रार्थना है। गंभीर लोग? मैंने कभी नहीं सुना कि गंभीर लोगों ने कभी स्वर्ग में प्रवेश किया हो। वे नहीं प्रवेश कर सकते। ऐसा हुआ एक बार कि एक पापी की मृत्यु हुई और वह पहुंच गया स्वर्ग में। एक संत की भी मृत्यु हुई उसी दिन और दूत ले जाने लगे उसे नरक की ओर। वह संत कहने लगा, 'ठहरो! कहीं कुछ गलत हो गया है। तुम उस पापी को ले जा रहे हो स्वर्ग की ओर, और मैं उसे जानता हूं खूब अच्छी तरह। मैं ध्यान करता रहा हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता रहा हूं चौबीसों घंटे, और मुझे ले आया गया है नरक में! मैं ईश्वर से ही पूछना चाहूंगा। यह क्या है? क्या यह न्याय है गुम ' तो उसे ले आया गया ईश्वर के पास ही, और शिकायत की उस आदमी ने और कहने लगा, 'यह तो बिलकुल अविश्वसनीय बात है कि यह पापी पहुंचा है स्वर्ग में। और मैं खूब अच्छी तरह जानता हूं उसे। वह पड़ोसी था मेरा। कभी प्रार्थना नहीं की उसने; उसने जीवन में कभी एक बार भी नाम नहीं लिया है आपका। मैं प्रार्थना करता रहा हं दिन में चौबीसों घंटे। मेरी नींद में भी मैं जपता रहा, राम, राम, राम और यह क्या हो रहा है?' ऐसा कहां जाता है कि ईश्वर ने कहा, 'क्योंकि तुमने मुझे मार ही डाला तुम्हारी निरंतर उबाऊ रामराम से। तुमने तो मुझे लगभग मार ही दिया, और मैं नहीं चाहूंगा तुम्हारे निकट होना। जरा सोचो, चौबीस घंटे! तुम मुझे एक पल भी न दोगे आराम-चैन का। यह दूसरा आदमी भला है। कम से कम कभी तकलीफ नहीं दी उसने मुझे। मैं जानता हूं उसने कभी प्रार्थना नहीं की, लेकिन उसका तो पूरा जीवन ही था एक प्रार्थना। वह तुम्हें दिखाई पड़ता है पापी जैसा, क्योंकि तुम सोचते कि मात्र प्रार्थना करने से और मुंह की बकबक करने से नैतिकता चली आती है। वह जीया और प्रसन्नतापूर्वक जीया। हो सकता है वह सदा ही भला न रहा हो, लेकिन वह सदा प्रसन्न रहा था और वह सदा रहता था आनंदपूर्ण। हो सकता उसने गलतियां की हों यहां-वहा की, क्योंकि गलतियां करना मानवीय बात है, लेकिन वह अहंकारी न था। उसने कभी प्रार्थना नहीं की, लेकिन उसके अस्तित्व के गहनतम तल से सदा ही उठता था धन्यवाद। उसने जीवन का आनंद मनाया और उसने धन्यवाद दिया इसके लिए।' स्मरण रहे, गंभीर लोग पूरे नरक में ही होते हैं। शैतान बहुत प्यार करता है गंभीरता से। स्वर्ग किसी चर्च की भाति नहीं होता है, और यदि वह होता है तो जिसके पास थोड़ा होश है वह कभी नहीं जाएगा उस स्वर्ग की ओर। तब बेहतर है नरक चले जाना। स्वर्ग है जीवन, लाखों-लाखों आयामों से भरपूर जीवन। जीसस कहते हैं अपने शिष्यों से, 'आओ मेरे पास और मैं तुम्हें दूंगा भरपूर जीवन।' स्वर्ग एक कविता है, एक निरंतर गान है, नदी के प्रवाहित होने जैसा, बिना किसी रुकाव का एक निरंतर उत्सव। जब तुम यहां हो मेरे साथ, तो स्मरण में ले लेना यह बात, तुम मुझे चूक जाओगे यदि तुम गंभीर हो तो, क्योंकि कोई संपर्क न बनेगा। केवल जब तुम प्रसन्न होते हो तो तुम मेरे पास रह सकते हो।
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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