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________________ मैं बोलता हूं तंत्र पर तुम अनुभव करते हो कि तंत्र है तुम्हारा मार्ग तब तो समस्या अस्तित्व ही नहीं रखती मैं ही हूं तुम्हारा मार्ग - दूसरा प्रश्न क्या खोजी के लिए समाधि की सारी अवस्थाओं में से गुजरना जरूरी है? क्या गुरु का सान्निध्य कुछ अवस्थाओं को एकाएक पार करने में मदद दे सकता है? नहीं, वैसा आवश्यक नहीं। सारी अवस्थाओं की व्याख्या पतंजलि द्वारा की गई है क्योंकि सारी अवस्थाएं संभव होती हैं, लेकिन आवश्यक नहीं। तुम बहुत को छोड़ निकल सकते हो। तुम पहले चरण से अंतिम चरण तक भी जा सकते हो; बीच के सारे रास्ते से बिलकुल बचा जा सकता है। यह तुम पर निर्भर करता है, तुम्हारी प्रगाढ़ता पर तुम्हारी तीव्र खोज पर, तुम्हारी समग्र प्रतिबद्धता पर गति निर्भर करती है तुम पर। इसलिए अचानक संबोधि को उपलब्ध होना भी संभव होता है। सारी क्रमिक प्रक्रिया गिराई जा सकती है बिलकुल इसी क्षण ही, तुम हो सकते हो संबोधि को उपलब्ध वैसा संभव है, लेकिन यह निर्भर करेगा इस पर कि तुम्हारी खोज कितनी प्रगाढ़ है, तुम कितने उतरे हु हो उसमें यदि तुम्हारा केवल एक हिस्सा उसमें है, तब तुम प्राप्त करोगे एक टुकड़ा, एक चरण यदि तुम्हारा आधा हिस्सा इसमें है, तब तुम तुरंत पार कर जाओगे आधी यात्रा, और फिर वहीं अटक जाओगे। लेकिन यदि तुम्हारा समग्र अस्तित्व होता है इसमें और तुम कोई चीज रोके हुए नहीं होते, तुम सारी चीज को बस घटित होने दे रहे होते हो तो बिलकुल अभी तो तुरंत सकता है वैसा समय की कोई जरूरत नहीं होती। 2 समय की जरूरत होती है क्योंकि तुम्हारा प्रयास अधूरा होता है, आशिक होता है। तुम उसे करते हो, आधे-आधे मन से। तुम करते हो उसे, और तुम करते भी नहीं उसे । तुम एक साथ एक कदम आगे बढ़ते और एक कदम पीछे हटते। दायें हाथ से तुम करते और बायें हाथ से तुम अनकिया कर देते । फिर वहां होंगी बहुत सारी अवस्थाएं पतंजलि जिनका वर्णन कर सकते हैं, उनसे कहीं ज्यादा उन्होंने सारी संभव अवस्थाओं का वर्णन कर दिया है। बहुतों को गिराया जा सकता है या सभी को गिराया जा सकता है। संपूर्ण मार्ग को गिराया जा सकता है तुम्हारे प्रयास में अपना समय अस्तित्व ले आओ।
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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