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________________ तरफ और वे उस भाषा को बोलने का प्रयत्न करते हैं, जिसे तुम में से कोई भी समझ पाएगा। वे केवल गुरु ही नहीं हैं, वे एक महान शिक्षक भी हैं। 'शिक्षाविद जानते हैं कि एक महान शिक्षक वह नहीं होता जो कि कक्षा के केवल थोड़े से सर्वोच्च विद्यार्थियों द्वारा समझा जाता हो-मात्र आगे की बैंच पर बैठे हुए विद्यार्थियों द्वारा-पचास की कक्षा में केवल चार या पांच विद्यार्थियों द्वारा। वह कोई बड़ा शिक्षक नहीं होता। बड़ा शिक्षक वह होता है, जिसे कि अंतिम बैंच पर समझ सकते हों। पतंजलि केवल गुरु ही नहीं हैं, वे हैं एक शिक्षक भी। कृष्णमूर्ति गुरु हैं, तिलोपा गुरु हैं, लेकिन, वे शिक्षक नहीं हैं। वे समझे जा सकते हैं केवल शिखर व्यक्तित्वों द्वारा। यही है समस्या सर्वोच्च को जरूरत ही नहीं समझने की। वे अपने से ही बढ़ सकते हैं। कृष्णमूर्ति के बिना भी वे उतरेंगे सागर में और पहुंच जाएंगे दूसरे किनारे तक; थोड़े दिन पहले या बाद में, बात यही होती है। अंतिम बैंच पर बैठे हुए जो कि अपने से नहीं बढ़ सकते, पतंजलि हैं उनके लिए। वे आरंभ करते हैं निम्नतम से और, जा पहुंचते हैं उच्चतम तक। उनकी मदद है सबके लिए। वे केवल थोडे से चुने हुओं के लिए नहीं हैं। आज इतना ही। प्रवचन 26 - योग : छलांग के लिए तैयार दिनांक 6 मार्च, 1975; श्री रजनीश आश्रम पूना। प्रश्नसार: 1-आप जिस किसी भी मार्ग की बात करते है। तो वही लगता है मेरा मार्ग! तो कैसे पता चले कि मेरा मार्ग क्या है?
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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