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________________ भांति, लेकिन तुम दूसरे पतंजलि को नहीं पा सकते। वे ऐसे सम्मिलन हैं कि उनके बाद कोई हुआ ही नहीं जिसकी की तुलना की जा सके उनके साथ। बहुत आसान है कवि होना क्योंकि तुम एक खंड से बने हुए होते हो। यह लगभग असंभव है पतंजलि होना, क्योंकि तुम्हें समझना होता है इतनी सारी विपरीतताओं को, और इतनी सुंदर सुसंगतता में वे उन सबको संयुक्त किए रहते हैं। इसीलिए वे आरंभ और अंत बन गए हैं योग की संपूर्ण परंपरा के। वस्तुत: यह वे नहीं थे जिन्होंने आविष्कार किया योग का। योग तो बहुत ज्यादा पुराना है। योग वहां था बहुत सदियों से पतंजलि से पहले ही। वे आविष्कारक न थे, लेकिन वे करीब-करीब बन गए आविष्कारक और प्रवर्तक-मात्र अपने व्यक्तित्व के दर्लभ संयोग के कारण। उनसे पहले बहत से लोगों ने काम किया है और लगभग हर चीज ज्ञात थी, लेकिन योग तो प्रतीक्षा कर रहा था किसी पतंजलि की। और अकस्मात, पतंजलि उस पर बोले, तो हर चीज एक दिशा में उतर गयी और वे बन गए प्रवर्तक। वे प्रवर्तक नहीं थे, लेकिन उनका व्यक्तित्व विपरीत तत्वों का एक सम्मिलन था, उन्होंने स्वयं में सम्मिलित किए इतने अबोधगम्य तत्व, कि वे हो गए प्रवर्तक या हो गए लगभग प्रवर्तक ही। अब योग सदा जाना जाएगा पतंजलि सहित। पतंजलि के बाद, फिर बहुतों ने काम किया और बहुत से पहुंच गए योग के अंतरंग की नयी भूमियों तक, लेकिन पतंजलि शिखर बने रहते हैं एवरेस्ट की भांति। यह लगभग असंभव जान पड़ता है कि कभी कोई पतंजलि से ज्यादा ऊंचा शिखर बन पाएगा-लगभग असंभव लगता है। ऐसा विरल संयोग असंभव होता है। तार्किक होना और कवि होना साधारण प्रतिभाओं के लिए संभव है। तुम हो सकते हो तार्किक, एक महान तार्किक, और एक साधारण कवि। तुम हो सकते हो महान कवि और एक बड़े साधारण तार्किक-तीसरे दर्जे के तार्किक। वैसा संभव है; वह कोई कठिन नहीं। पतंजलि एक प्रतिभावान तार्किक हैं, एक प्रतिभावान कवि हैं, और एक प्रतिभावान रहस्यवादी हैं। अरन्त कालिदास और तिलोपा-सभी एक ही में उतर आए हैं। इसीलिए है आकर्षण। जितना संभव हो उतने गहरे रूप से समझने की कोशिश करो पतंजलि को, क्योंकि वे मदद करेंगे हारी। झेन गुरुओं से ज्यादा मदद न मिलेगी। तुम आनंदित हो सकते हो उनसे-ख्य सुंदर घटना होती है वह। तुम श्रद्धा, विस्मय से भर सकते हो; तुम भर सकते हो आश्चर्य से, लेकिन वे मदद न देंगे तुम्हें। दुष्प्राय होगा कि कोई तुम्हारे भीतर पहुंचे जो कि तुम्हें साहस दे सके और तुम्हारी मदद कर सके अतल शून्य में छलांग लगाने में। पतंजलि देंगे बहुत मदद। वे बन सकते हैं तुम्हारे अस्तित्व की सच्ची नींव, और वे तुम्हें ले जा सकते हैं, धीरे – धीरे। वे तुम्हें ज्यादा समझते हैं किसी और दूसरे व्यक्ति की अपेक्षा। वे देखते हैं तुम्हारी
SR No.034096
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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