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________________ यदि तुम जन्म से हिदू हो, तो तुम राम और कृष्ण की अवधारणा पर पले हो । यदि तुम जन्म से ईसाई हो, तब तुम पले हो- तुम्हारा कम्प्यूटर, तुम्हारा मन पला है जीसस की धारणा, जीसस की प्रतिमा के साथ जब कभी तुम ध्यान करना शुरू करते हो, वह पोषित प्रतिमा मन में चली आती है, वह मन में प्रक्षेपित हो जाती है। जीसस ईसाई व्यक्ति को दिखते हैं, लेकिन यहूदियों को कभी दिखाई नहीं देते जीसस। और वे यहूदी थे। जीसस यहूदी की तरह जन्मे और यहूदी की तरह मरे। लेकिन वे यहूदियों को दिखाई नहीं देते, क्योंकि उन्होंने उनमें कभी विश्वास नहीं किया। वे लोग सोचते थे जीसस मात्र एक आवारा है। उन्हें एक अपराधी की तरह सूली पर चढ़ा दिया उन्होंने। इसलिए जीसस यहूदियों को कभी नहीं जँचे। लेकिन वे यहूदियों के संबंधी थे उनकी धमनियों में यहूदी खून था । मैंने एक मजाक सुना है कि नाजी जर्मनी में हिटलर के सिपाही एक शहर में यहूदियों को मार रहे थे। वे बहुतों को मार चुके थे लेकिन कुछ यहूदी बचकर भाग निकले थे। वह एक रविवार की सुबह थी, इसलिए जब वे बचकर भागे, तो वे एक चर्च में चले गये क्योंकि उन्होंने सोचा था कि वह छुपने के लिए सबसे अच्छी जगह रहेगी- स्व ईसाई चर्च वह चर्च ईसाइयों से भरा था। वह इतवार की सुबह थी, और लगभग एक दर्जन यहूदी वहां छिपे हु थे। लेकिन सिपाहियों को भी खबर मिल गयी कि कुछ यहूदी चर्च में जा छिपे हैं तो वे चर्च में गये। उन्होंने पादरी से कहा, अपना धार्मिक अनुष्ठान बंद करो।' सिपाहियों का नेता मंच पर गया और बोला, 'तुम हमें धोखा नहीं दे सकते। कुछ यहूदी यहां छिपे हुए हैं। जो कोई यहूदी है उसे बाहर आकर पंक्ति में खड़े हो जाना चाहिए। यदि तुम हमारा आदेश माने तो तुम बच सकते हो, लेकिन यदि कोई हमें धोखा देने की कोशिश करेगा तो फौरन मार दिया जायेगा।' धीरे-धीरे यहूदी चर्च से बाहर आ गये और वे एक पंक्ति में खड़े हो गये। तब अचानक चर्च की सारी भीड़ को ध्यान आया कि जीसस लुपा हो गये थे। गायब हो गयी वह मूर्ति जीसस की। वे भी यहूदी थे इसलिए वे बाहर उसी पंक्ति में खड़े थे। लेकिन जीसस यहूदियों के सामने कभी प्रकट नहीं होते और वे ईसाई न थे। वे किसी ईसाई चर्च से संबंधित न रहे थे। यदि वे वापस आ जायें, वे ईसाई चर्च को पहचानेंगे भी नहीं । वे सिनागोग की ओर बढ़ जायेंगे। वे यहूदी संप्रदाय में जा पहुंचेंगे। वे किसी रबाई से मिलने चले जायेंगे। वे कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट पादरी से मिलने नहीं जा सकते। वे उन्हें नहीं जानते। लेकिन यहूदियों को वे कभी दिखाई नहीं पड़ते क्योंकि उनकी कल्पनाओं में वे कभी बीज की तरह पड़े नहीं। उन्हें अस्वीकृत कर दिया था उन्होंने, तो बीज वहां नहीं है। इसलिए जो कुछ घटित होता है, निन्यानबे संभावनाएं ऐसी हैं कि वह केवल तुम्हारा पोषित शान, धारणाएं और प्रतिमाएं होती होंगी। वे तुम्हारे मन के सामने झलक जाती हैं। और जब तुम
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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