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________________ वह क्रूर आकृति वाला आदमी मुल्ला के पास आ गया और यह देखकर कि वह बिलकुल डरा हुआ नहीं है, वह मुल्ला के पैरों को जा दबाया। मुल्ला गुस्से में आ गया, उग्र हो गया और बोला, 'क्या कर रहे हो तुम? क्या तुम ऐसा इरादतन कर रहे हो या यह सिर्फ एक तरह का मजाक है?' वह आदमी बोला, 'ऐसा प्रयोजन से किया है।' मुल्ला नसरुद्दीन बोला, 'तो धन्यवाद। यदि यह प्रयोजन से किया है तो ठीक है, क्योंकि मुझे इस तरह का मजाक पसंद नहीं है।' पतंजलि कहते हैं कि कल्पना तीसरी मानसिक शक्ति है। तुम कल्पना किये चले जाते हो तो तुम अपने आस-पास विभ्रम बना लेते हो- भ्रम, सपने; और तुम उनमें गुम हो सकते हो। एल एस डी और दूसरे नशे इस केंद्र पर कार्य करने में मदद करते हैं। इस प्रकार जितनी आंतरिक क्षमताएं तुम्हारे भीतर होती हैं, तुम्हारा स्वप्न एस डी ट्रिप उन्हें बढ़ाने में मदद करेगा। एल एस डी के विषय में कुछ भी निश्चित नहीं है। यदि तुम्हारी सुखद कल्पनाएं हैं तो नशे की यात्रा एक प्रसन्नता वाली यात्रा होगी, ऊंची उड़ान! यदि तुम्हारी कल्पनाएं दुखद होती हैं, भयानक स्वप्न जैसी कल्पनाएं तो वह यात्रा बरी होने वाली है। इसलिए बहुत से लोग एल एस डी के बारे में परस्पर विरोधी विवरण देते हैं। हक्सले का कहना है कि यह स्वर्ग के द्वार की चाबी बन सकती है और रैनर कहता है कि यह चरम नरक है। यह तुम पर निर्भर करता है, एल एस डी कुछ नहीं कर सकती। यह एकदम तुम्हारी कल्पनाशक्ति के केंद्र में कूद जाती है और वहां रासायनिक तौर पर कार्य करना शुरू कर देती है। यदि तुम्हारी कल्पना भयावह स्वप्न की तरह की है, तुम उसी को विकसित कर लोगे। तुम नरक में से गुजरोगे। और यदि तुम सुंदर सपनों के प्रति आसक्त हो, तुम स्वर्ग तक पहुंच सकते हो। यह कल्पना या तो नरक या स्वर्ग जैसा कार्य कर सकती है। तुम पूरी तरह पागल हो जाने में इसका प्रयोग कर सकते हो। पागलखानों में जो पागल आदमी हैं उनके साथ क्या हुआ है? उन्होंने अपनी कल्पनाशक्ति का प्रयोग किया है लेकिन उन्होंने इसका प्रयोग इस ढंग से किया है कि वे इससे असित हो गये हैं। एक पागल आदमी अकेला बैठा हो सकता है, और हो सकता है किसी से जोर-जोर से बातें भी कर रहा हो। वह केवल बातें ही नहीं करता; वह जवाब भी देता है। वही प्रश्न करता है और वही उत्तर देता है। वह दूसरे की ओर से भी बोलता है जो मौजूद नहीं है। तुम सोचोगे कि वह पागल है, पर वह वास्तविक व्यक्ति से बातें कर रहा है। उसकी कल्पना मे वह व्यक्ति वास्तविक है और वह फैसला नहीं कर सकता कि क्या काल्पनिक है और क्या वास्तविक है। बच्चे भी फैसला नहीं कर सकते। कई बार होता है कि एक बच्चा सपने में खिलौना खो दे और फिर वह सुबह रोयेगा कि 'मेरा खिलौना कहां है?' बच्चे नहीं जांच सकते कि सपने, सपने हैं और वास्तविकता, वास्तविकता है। उन्होंने कुछ खोया नहीं है; वे केवल सपने देख रहे थे। लेकिन सीमाएं
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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