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________________ प्रश्नसार: 1- जिस तरह नकारात्मक विचार दुर्घटनाओं के रूप में मूर्त हो जाते हैं उसी तरह क्या विधायक विचार भी शुभ घटनाएं बन सकते हैं? 2- जिसे आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त हुई हो ऐसे व्यक्ति में और बुद्धपुरुष में विकासात्मक अंतर क्या होता है? 3- आप एक साथ हम सब शिष्यों पर कैसे काम कर सकते हैं? 4- अधिकतम लोग प्रेम की मूलभूत आवश्यकता पूरी क्यों नहीं कर सकते? पहला प्रश्न : आपने कहा कि नकारात्मक विचार खतरनाक होते हैं क्योंकि वे घटनाओं के घटने को कार्यान्वित कर सकते है। क्या विधायक विचार भी वास्तविक घटनाओं का मूर्त रूप ले सकते हैं? उदाहरण के लिए यदि कोई संबोधि की अभिलाषा करता है तो क्या यही परिणामस्वरूप घट सकती है? यह तो विधायक विचारों से बहुत ज्यादा मांग करने की बात हो गयी क्योंकि संबोधि द्वंद्वातीत है। यह न तो निषेधात्मक है और न ही विधायक। जब दोनों ध्रुवताएं गिर जाती हैं, तो यह घटती है। विधायक विचारों के साथ बहुत सारी बातें संभव हैं, लेकिन संबोधि नहीं। तुम प्रसन्न हो सकते हो, पर आनंदित नहीं। प्रसन्नता आती और चली जाती है; विपरीत इसके साथ हमेशा अस्तित्व रखता है। जब तुम प्रसन्न होते हो, तो प्रसन्नता के ठीक साथ ही अप्रसन्नता प्रतीक्षा में खड़ी होती है। वह पंक्ति में खड़ी होती है जब तुम प्रेम करते हो, वह विधायक बात है, लेकिन घृणा प्रतीक्षा कर रही होती है अपने समय की ।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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