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________________ जिसे तुम समर्पण कर दो, वह दिव्य हो जाता है। समर्पण दिव्यता निर्मित करता है। समर्पण एक सृजनात्मक शक्ति है। तीसर प्रश्न: क्या सतोरी के पश्चात गुरु की आवश्यकता होती है? ज्यादा ही। क्योंकि सतोरी मात्र झलक है। और झलक खतरनाक होती है क्योंकि अब तुम अज्ञात क्षेत्र में प्रवेश करते हो। इससे पहले गुरु आवश्यक न था। इससे पहले तुम शांत संसार में बढ़ रहे थे। केवल सतोरी के बाद वह परम रूप से आवश्यक हो जाता है। क्योंकि अब किसी की आवश्यकता है जो तुम्हारा हाथ थामे और तुम्हें उसकी ओर ले जाये जो मात्र झलक नहीं है, बल्कि जो परम यथार्थ बन जाता है। सतोरी के बाद तुमने स्वाद पा लिया है। और स्वाद, और आकांक्षा निर्मित करता है। और स्वाद इतना चुंबकीय बन जाता है कि तुम इसमें पागलों की भांति तेजी से बढ़ जाना चाहोगे। अब होती है गुरु की आवश्यकता। सतोरी के बाद और बहुत चीजें घटने वाली हैं। सतोरी ऐसी है जैसे एवरेस्ट के, गौरीशंकर के शिखर को साफ-साफ देख लेना। एक दिन किसी निर्मल स्वच्छ सुबह, उज्वल सुबह, जब धुंध नहीं होती, तुम हजारों मील दूर से देख सकते हो ऊंचे, खुले आकाश में उठते गौरीशंकर के सुंदर शिखर को। यह होती है सतोरी। अब वास्तविक यात्रा आरंभ होती है। अब सारा संसार व्यर्थ जान पड़ता है। यह एक क्रांतिकारी मोड होता है। अब वह सब व्यर्थ हो जाता है जो तुम जानते थे। वह सब जो तुम्हारे पास था, एक बोझ हो जाता है। अब वह संसार, वह जीवन जिसे तुमने अब तक जीया था, एकदम तिरोहित हो जाता है स्वप्न की भांति,क्योंकि अब विराट घट गया है। और यह केवल सतोरी है, एक झलक। जल्दी ही धुंध वहां होगी, और शिखर दिखायी न देता रहेगा। बादल चले आयेंगे और शिखर खो जायेगा। अब तुम चेतना की एक नितांत अनिश्चित अवस्था में होओगे। पहली बात समझने की होगी कि जो कुछ तुमने देखा, वास्तविक था या मात्र एक सपना था, क्योंकि कहां चला गया अब वह? वह तिरोहित हो गया। वह तो बस एक झरोखा था, मात्र एक अंतराल था। और तुम वापस आ गये हो, तुम्हारी अपनी दुनियां की ओर फेंक दिये गये हो। संदेह उठ खड़े होंगे। जो कुछ देखा है तुमने, क्या वह सच था? क्या यह वस्तुत: था या कि तुमने उसका सपना देखा या उसकी कल्पना की? और कल्पना करने की संभावनाएं होती हैं। बहत
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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