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________________ बात सही होती है', लेकिन ये लोग कहते हैं, 'नहीं। यह इतनी सरल कैसे हो सकती है? यह कठिन होनी चाहिए, बहुत-बहुत कठिन, दुःसाध्य।' तुम कठिन बातें करना चाहते हो क्योंकि जब तुम कठिनाई के विरुद्ध लड रहे होते हो, धारा के विरुद्ध, तब तुम अनुभव करते हो कि तुम कुछ हो-एक विजेता हो। अगर कोई चीज सहज-सरल होती है, अगर कोई चीज इतनी आसान होती है कि एक बच्चा भी इसे कर सके, तब तुम्हारा अहंकार कहां खड़ा होगा? तुम बाधाओं के लिए मांग करते हो, कठिनाइयों की पूछते हो, और अगर कठिनाइयां नहीं होती तो तुम उन्हें निर्मित कर लेते हो जिससे कि तुम लड़ सको, जिससे कि तुम हवा के विरुद्ध उड़ सको और अनुभव करो, 'मैं कुछ हूं एक विजेता हूं।' पर इतने होशियार मत बनो। तुम वह मुहावरा 'स्मार्ट एलेक' जानते हो? तुम शायद नहीं जानते हो कि यह कहां से आया है-यह एलेक्जेंडर दि पेट से आया है। एलेक' शब्द एलेक्जेंडर से आता है; यह एक संक्षिप्त रूप है। इसका अर्थ होता है, स्मार्ट एलेक्जेंडर मत होओ। सहज रहो, विजेता होने की कोशिश मत करो, क्योंकि यह छूता है। कुछ होने की कोशिश मत करो। लेकिन पतंजलि जंचते हैं। पतंजलि अहंकार यादा आकर्षित करते हैं। तो भारत ने संसार के सूक्ष्मतम अहंकारी निर्मित किये। तुम इससे ज्यादा सूक्ष्म अहंकारी संसार भर में कहीं और नहीं खोज सकते, जितने कि भारत में। सरल-चित्त योगी को खोजना लगभग असंभव है। योगी सरल नहीं हो सकता। क्योंकि वह इतने सारे आसन किये जा रहा है, इतनी सारी मुद्राएं वह इतना कठिन काम कर रहा है, तो कैसे हो सकता है वह सीधा? वह स्वयं को एक ऊंचाई पर समझता है-एक विजेता। सारे संसार को उसके आगे झकना होता है, वह सर्वोत्तम व्यक्ति है-जीवन का नमक, सारभूत। जाओ और योगियों को देखो-तुम उनमें बहुत सूक्ष्म अहंकार पाओगे। उनका आंतरिक मंदिर अब भी खाली है; ईश्वर भीतर नहीं आया। मंदिर अब तक सिंहासन है उनके अपने अहंकारों के लिए ही। उनके अहंकार बहत सुक्ष्म हो गये होंगे, वे इतने सुक्ष्म हो गये होंगे कि ये योगी बहत विनम्र दिख सकते हैं। लेकिन उनकी विनम्रता में भी, अगर तुम ध्यान से देखो, तो तुम अहंकार पाओगे। वे सजग हैं कि वे विनम्र हैं, यही है कठिनाई। एक वास्तविक विनम्र व्यक्ति को यह बोध नहीं होता कि वह विनम्र है। एक वास्तविक विनम्र व्यक्ति तो बस विनम्र होता है, विनम्रता के प्रति सजग नहीं। और वास्तविक विनम्र व्यक्ति कभी दावा नहीं करता कि मैं विनम्र हूं क्योंकि सारे दावे अहंकार के होते हैं। विनम्रता का दावा नहीं किया जा सकता। विनम्रता कोई दावा नहीं है, यह होने की एक अवस्था है। और सारे दावे अहंकार की परिपूर्ति करते हैं। यह क्यों घटित हुआ? भारत क्यों बहुत सूक्ष्म अहंकारी देश हो गया? और जब अहंकार होता है, तुम अंधे हो जाते हो।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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