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________________ पीला हुआ जा रहा था। वह तो समझ ही न सका कि बुद्ध क्या कह रहे थे। और सारी बात ही इतनी बेतुकी थी, क्योंकि बुद्ध ने प्रतिक्रिया नहीं की थी। वह आदमी बिलकुल असमंजस में पड़ गया कि क्या करे, क्या कहे। वह चला गया। सारी रात वह सो नहीं सका। कैसे सो सकते हो तम, जब किसी का अपमान कर दो और प्रतिक्रिया ही न मिले? तब तुम्हारा अपमान तुम्हारे पास वापस चला आता है। तुमने तीर फेंक दिया है,पर इसे प्रवेश नहीं मिला है। यह वापस आ जाता है। कोई आश्रय न पा यह वापस स्रोत तक लौट आता है। उसने बुद्ध का अपमान किया, किंतु अपमान वहां कोई आश्रय न पा सकता था तो यह कहां जायेगा? यह वास्तविक मालिक तक सारी रात वह व्यग्रता से बेचैन रहा था; वह विश्वास नहीं कर सकता था उस पर, जो घटित हुआ। और फिर उसने पछताना शुरू कर दिया; यह अनुभव करना कि वह गलत था; कि उसने अच्छा नहीं किया। अगली सुबह बहुत जल्दी वह गया और उसने क्षमा मांगी। बुद्ध बोले, 'इसके लिए चिंता मत करो। अतीत में जरूर मैंने तुम्हारे साथ कुछ बुरा किया है। अब हिसाब पूरा हो गया है। और मैं प्रतिक्रिया करने वाला नहीं। वरना यही बार-बार होता रहेगा। खअ हुई बात। मैं प्रतिक्रियात्मक नहीं हुआ। क्योंकि यह बीज कहीं था, इसे समाप्त होना ही था। अब मेरा हिसाब तुम्हारे साथ समाप्त हुआ।' इस जीवन में, कोई 'विदेह' -जो जान लेता है कि वह देह नहीं है, जो असंप्रज्ञात समाधि को उपलब्ध हो चुका है-संसार में आता है मात्र हिसाब-किताब बंद करने को ही। उसका सारा जीवन समाप्त हो रहे हिसाबों से बना होता है। लाखों जन्म, ढेरों संबंध, बहुत सारे उलझाव और वादे-हर चीज को समाप्त हो जाने देना है। ऐसा घटित हुआ कि बुद्ध एक गांव में आये। सारा गांव एकत्रित हुआ; वे उत्सुक थे उन्हें सुनने को। यह एक दुर्लभ अवसर था। राजधानियां भी सतत बुद्ध को आमंत्रित करती रहती थीं, और वे नहीं पहुंचते थे। किंतु वे इस गांव में आये जो जरा मार्ग से हट कर था और बिना किसी निमंत्रण के आये क्योंकि ग्रामबासी कभी साहस न जुटा सकते थे उनके पास जाने और उन्हें गांव में आने के लिए कहने का। यह थोड़ी-सी झोपड़ियों वाला एक छोटा-सा गांव था, और बुद्ध बगैर किसी निमंत्रण के ही आ गये थे। सारा गांव उत्तेजना से प्रज्वलित था, और वे वृक्ष के नीच थे और बोल नहीं रहे थे। कुछ लोग कहने लगे, आप अब किसके लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं? सब लोग है यहां; सारा गांव यहां है। आप आरंभ करें।'बुद्ध बोले, 'पर मुझे प्रतीक्षा करनी है क्योंकि मैं किसी के लिए यहां आया हूं जो यहां नहीं है। एक वचन पूरा करना है, एक हिसाब पूरा करना है। मैं उसी के लिए प्रतीक्षा कर रहा हूं।' फिर एक युवती आयी, तो बुद्ध ने प्रवचन आरंभ किया। उनके बोलने के बाद लोग पूछने लगे, 'क्या आप इसी युवती की प्रतीक्षा कर रहे
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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