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________________ भारत में यह घटना बहुत बड़ी नहीं रही, जैसी यह मुसलमानी देशों में रही है। इसीलिए सूफियों के पास विशेष विधियां हैं इन 'मस्त' लोगों को मदद करने की प्रभु के पागलों को। किंतु पतंजलि ने इतनी सूक्ष्म पद्धति निर्मित कर दी है कि किसी सांयोगिक दुर्घटना की कोई जरूरत नहीं रही। वह अनुशासन इतना वैज्ञानिक है कि अगर तुम उस अनुशासन में से गुजरते हो तो तुम बुद्धत्व तक पहुंच जाओगे मार्ग पर पागल हुए बिना। यह एक संपूर्ण प्रणाली है। सूफी धर्म अभी भी कोई संपूर्ण प्रणाली नहीं है। बहुत सारी चीजों का अभाव है इसमें। और उनका अभाव है मुसलमानों की हठी मनोवृत्तियों के कारण। वे इसे इसके शिखर तक, पराकाष्ठा तक विकसित होने नहीं देते। और सूफी साधना को इस्लामी धर्म के ढांचे-ढर्रे के पीछे चलना पड़ता है। मुसलमानी धर्म के ढांचे के कारण ही सूफी मार्ग मस्तों के पार नहीं जा पाया और संपूर्ण नहीं हो पाया। पतंजलि किसी धर्म के पीछे नहीं चलते, वे अनुगमन करते हैं केवल सत्य का। वे हिंदूवाद या मइस्तमवाद या किसी भी'वाद' के साथ कोई समझौता न करेंगे। वे वैज्ञानिक सत्य को ही ग्रहण करते हैं। सूफियों को समझौता करना पड़ता था। उन्हें करना पड़ता उन कुछ सूफियों के कारण जिन्होंने कोशिश की थी कोई भी समझौता न करने की। उदाहरण के लिए बिस्ताम के बायजीद या अलहिल्लाज मंसूर-उन्होंने कोई समझौता नहीं किया था। और तब उन्हें मार डाला गया, उनका वध कर दिया गया। इसलिए सूफी गोपनीयता में उतर गये। उन्होंने अपने विज्ञान को पूर्णतया रहस्य बना दिया। और वे केवल अंशों को,हिस्सों को ज्ञात होने देते–केवल उन अंशों को, जो इसलाम और उसके ढांचे के उपयुका होते। दूसरे सारे हिस्से गोपनीय रखे गये। अत: संपूर्ण प्रणाली ज्ञात नहीं है, यह कार्य नहीं कर रही है। और हिस्सों के द्वारा तो बहुत लोग पागल हो जाते है। पतंजलि की पद्धति संपूर्ण है, और अनुशासन की आवश्यकता है। इससे पहले कि तुम भीतर के अतात संसार में उतरी,एक गहन अनुशासन की आवश्यकता होती है, ताकि कोई दुर्घटना संभव न हो। पर तुम अनुशासन के बिना आगे बढ़ते हो, तो फिर बहुत सारी चीजें संभव हैं। वैराग्य पर्याप्त है, किंतु वास्तविक वैराग्य तुम्हारे हृदय में है नहीं। अगर वह वहां है, फिर तो कोई समस्या नहीं। फिर पतंजलि की पुस्तक बंद कर दो और इसे जला दो। यह एकदम अनावश्यक है। पर वह असली वैराग्य वहां होता नहीं। और बेहतर है धीरे- धीरे अनुशासित मार्ग पर बढ़ना, जिससे तुम किसी दुर्घटना का शिकार नहीं होते। अन्यथा दुर्घटनाएं घटती हैं; यह संभावना मौजूद रहती है।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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