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________________ हैं, लेकिन वे सजग नहीं होते। केवल जब उन्हें फल-प्राप्ति करनी होती है तो उन्हें होश आता है। और वे जोड़ नहीं बैठा सकते कि वे ही दोनों हैं-उनकी फसल के कारण भी और फसल पाने वाले भी। एक बार तुम समझ लो कि तुम हो कारण, तो तुम मार्ग पर बढ़ चुके हो। अब बहुत सारी चीजें संभव हो जाती है। अब तुम कुछ कर सकते हो उस समस्या के बारे में जो तुम्हारी जिंदगी है। तुम उसे बदल सकते हो। स्वयं को बदलने मात्र से तुम उसे बदल सकते हो। एक स्त्री मेरे पास आयी। वह बहुत धनी परिवार से है, बहुत भले परिवार सेसुसंस्कृत, परिष्कृत, शिक्षित। उसने पूछा मुझसे, 'अगर मैं ध्यान करना शुरू कर दूं तो क्या यह बात पति के साथ मेरे संबंध को गड़बड़ा देगी? 'और इससे पहले कि मैं उसे उत्तर देता, वह स्वयं कहने लगी, 'मैं जानती हं यह बात अशांति बनाने वाली नहीं क्योंकि अगर मैं बेहतर हो जाऊं-ज्यादा शांत और ज्यादा प्रेमपूर्ण, तो यह मेरे संबंध को गड़बड़ा कैसे सकती है?' लेकिन मैंने उससे कहा, 'तुम गलत हो। संबंध अस्त-व्यस्त होने ही वाला है। तुम बेहतर बनो कि बदतर, यह अप्रासंगिक है। तुम बदलते हो, दो में से एक व्यक्ति बदलता है, और संबंध में अड़चन आनी ही होती है। और यही है आश्चर्य। अगर तुम बुरे बन जाओ, तो संबंध में कोई ज्यादा बिगड़ाव नहीं आयेगा। अगर तुम अच्छे बन जाते हो, बेहतर, तो बस संबंध तहस-नहस होने ही वाला है। क्योंकि जब एक साथी नीचे गिरता है और बुरा बन जाता है, तो दूसरा बेहतर अनुभव करता है तुलना में। यह अहंकार पर चोट पड़ने की बात नहीं है। बल्कि यह अहंकार-संतुष्टि है।' इसलिए एक पत्नी अच्छा अनुभव करती है अगर पति शराब पीना शुरू कर दे क्योंकि अब वह नैतिक आचरण की उपदेशक बन सकती है। अब वह उस पर अधिक शासन जमा सकती है। अब, जब कभी वह घर में दाखिल होता है वह अपराधी की तरह दाखिल होता है। और बस, क्योंकि वह शराब पीता है तो, हर चीज जो वह कर रहा है, गलत हो जाती है। उतना भर काफी है क्योंकि अब पत्नी यह बहस बार-बार कहीं से सामने ला सकती है। तो अब हर चीज निंदित है जो पति करता है। पर अगर पति या पत्नी ध्यानस्थ हो जाये, तब और भी गहरी समस्याएं उठ खड़ी होंगी क्योंकि दसरे का अहंकार चोट खायेगा। उनमें से एक उच्च हो रहा है. और दसरा ऐसा न होने देने के हर तरह से कोशिश करेगा। वह हर संभव मुसीबत खड़ी करेगा। और यदि ऐसा घटे भी कि एक ध्यानी बन जाये, तो दूसरा इसे न मानने की चेष्टा करेगा कि ऐसा घटित हुआ है। वह सिद्ध करेगा कि यह अभी तक नहीं घटा है। वह कहता ही रहेगा, 'तुम वर्षों से ध्यान पर जुटे हो और कुछ नहीं हुआ है। इसका क्या लाभ है? यह तो बेकार है। तुम फिर भी क्रोध करते हो, तुम तो वैसे ही बने रहे हो।' दूसरा जोर देने की कोशिश करेगा कि कुछ नहीं हो रहा है। यह एक तसल्ली है उसके लिए।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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