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________________ लिए बहुत बार जांचता रहा हूं। क्या तुम्हारे पास कोई स्पष्टीकरण है तुम्हारे पके शराबीपन के लिए? नसरुद्दीन बोला, 'बेशक, युअर ऑनर! मेरे पास मेरे पके शराबीपन के लिए एक सफाई है देने को। यह है मेरी' सफाई-पकी प्यास। ' अगर तुम सजग हो भी जाओ, तो भी अप्पस्त ढांचा कुछ देर को तुम्हें उसी दिशा में सरकने को बाध्य कर देगा। लेकिन यह बहुत देर तक नहीं बना रह सकता। ऊर्जा अब वहां नहीं रही। कुछ देर को वह मृत ढांचे की भांति बना रह सकता है, लेकिन धीरे-धीरे यह सूख जायेगा। इसे हर दिन पोषित होने की जरूरत रहती है, इसे हर दिन मजबूत होने की जरूरत होती है। निरंतर तुम्हारे सहयोग की आवश्यकता होती है। एक बार तुम सजग हो जाओ कि तुम्हारे दुखों का कारण तुम हो, तो सहयोग गिर ही जायेगा। इसलिए जो कुछ मैं तुमसे कहता हूं वह तुम्हें एकमात्र तथ्य के प्रति सजग करने के लिए ही होता है कि जहां कहीं तुम हो, जो कुछ तुम हो, तुम्हीं कारण हो। और इसके प्रति निराशावादी मत होओ। यह बहुत आशाजनक है। अगर कोई दूसरा व्यक्ति कारण होता है, तो कुछ नहीं किया जा सकता। इसी कारण महावीर ईश्वर को नहीं स्वीकारते। महावीर कहते हैं कि ईश्वर नहीं है। क्योंकि अगर ईश्वर है, तो कुछ नहीं किया जा सकता। जब वही है हर चीज का कारण, तो फिर मैं क्या कर सकता हूं? तब तो मैं. असहाय हूं। तो उसी ने संसार बनाया है। उसी ने मुझे बनाया है। अगर वह है बनाने वाला, तब केवल वही मिटा सकता है। और अगर मैं दुखी हूं तब वही है जिम्मेदार और मैं कुछ कर नहीं सकता। अत: महावीर कहते हैं, अगर ईश्वर है, तो आदमी असहाय है। इसीलिए वे कहते हैं, 'मैं ईश्वर में विश्वास नहीं करता।'और इसका कोई दार्शनिक कारण नहीं है, कारण बहुत मनोवैज्ञानिक है। यह युइका है जिससे कि तुम किसी को अपने लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सको। तो प्रश्न यह नहीं है कि ईश्वर अस्तित्व रखता है या नहीं। महावीर कहते, 'मैं चाहता हूं तुम समझ जाओ कि जो कुछ तुम हो उसके कारण तुम हो।' और यह बहुत आशापूर्ण है। अगर तुम ही हो कारण, तो तुम इसे बदल सकते हो। अगर तुम नरक का निर्माण कर सकते हो, तो तुम स्वर्ग का निर्माण भी कर सकते हो। तुम हो मालिक। इसलिए निराश अनुभव मत करो। जितना ज्यादा तुम दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हो तुम्हारी जिंदगी के लिए, उतने ज्यादा तुम गुलाम होते हो। अगर तुम कहते हो, 'मेरी पत्नी मुझे क्रोधी बना रही है', तो तुम एक गुलाम हुए। अगर तुम कहो कि तुम्हारा पति तुम्हारे लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है, तो तुम गुलाम हो। अगर तुम्हारा पति तुम्हारे लिए मुसीबत बना भी रहा है,लेकिन तुमने चुना है
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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