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________________ कुछ ऐसा है जिसे करके ही जाना जा सकता है। इसलिए मैं कहता हूं कि पतंजलि बेजोड़ है। इस पृथ्वी पर पतंजलि जैसा दूसरा कोई नहीं हुआ। बुद्ध की वाणी में तुम्हें कविता मिल सकती है। वहां कविता होगी ही। अपने को अभिव्यक्त करते हुए बुद्ध बहुत बार काव्यमय हुए हैं। परम आनंद का, चरम ज्ञान का जो संसार है वह इतना सुंदर, इतना भव्य है कि काव्यात्मक हो जाने के मोह से बचना मुश्किल है। उस अवस्था की सुंदरता ऐसी, उसका मंगल आशीष ऐसा, उसका परम आनंद ऐसा कि उद्गार सहज ही काव्यमय भाषा में फूट पड़ते हैं। लेकिन पतंजलि इस पर रोक लगाते हैं। हालांकि यह बहुत कठिन है। ऐसी अवस्था में आज तक कोई भी स्वयं को नहीं रोक सका। जीसस, कृष्ण, बुद्ध, सभी काव्यमय हो गये। जब उसकी अपार भव्यता और उसका परम सौंदर्य तुम्हारे भीतर फूटता है, तो तुम नाच उठोगे, गाने लगोगे । उस अवस्था में तुम उस प्रेमी की तरह हो जो सारी सृष्टि के ही प्रेम में पड़ गया है। पतंजलि इस पर रोक लगा लेते हैं। वे कविता का प्रयोग नहीं करते। वे एक भी काव्यात्मक प्रतीक का उपयोग नहीं करते। कविता से उन्हें कोई सरोकार ही नहीं। वे सौंदर्य की भाषा में बात ही नहीं करते। वे गणित की भाषा में बात करते हैं। वे संक्षिप्त होंगे और तुम्हें कुछ सूत्र देंगे। वे सूत्र संकेत मात्र हैं कि क्या करना है वे आनंदातिरेक में फूट नहीं पड़ते। वे ऐसा कुछ भी कहने का प्रयास नहीं करते, जिसे शब्दों में कहा न जा सके। वे असंभव के लिए प्रयत्न ही नहीं करते। वे तो बस नींव बना देंगे और यदि तुम उस नींव का आधार लेकर चल पड़े, तो उस शिखर पर पहुंच जाओगे जो अभी सबके परे है। वे बड़े कठोर गणितज्ञ हैं, यह बात ध्यान में रखना। पतंजलि सबसे बड़े वैज्ञानिक है अंतर्जगत के उनकी पहुंच एक वैज्ञानिक मन की है। वे कोई कवि नहीं है और इस ढंग से वे बहुत विरले हे क्योंकि जो लोग अंतर्जगत में प्रवेश करते हैं वे प्रायः कवि ही होते है सदा। जो बहिर्जगत में प्रवेश करते है, अक्सर हमेशा वैज्ञानिक होते है। पतंजलि एक दुर्लभ पुष्प है। उनके पास वैज्ञानिक मस्तिष्क है, लेकिन उनकी यात्रा भीतरी है। इसलिए वे पहले और अंतिम वचन बन गए। वे ही आरम्भ है और वे ही अंत है। पाँच हजार साल में कोई उनसे ज्यादा उन्नत हुआ ही नहीं जा सकता। वे अंतिम वचन ही रहेंगे। क्योंकि वे जोड़ ही असम्भव है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना और अंतरिक जगत में प्रवेश करना करीब-करीब असम्भव सम्भावना है। वे एक गणितज्ञ, एक तर्क शास्त्रज्ञ की भांति बात करते है और वे है हेराक्लतु जैसे रहस्यदर्शी । 3 7 उनके एक-एक शब्द को समझने की कोशिश करो। यह कठिन होगा। क्योंकि उनकी शब्दावली तर्क की विवेचन की है पर उनका संकेत प्रेम की ओर, मस्ती की और परमात्मा की और है। उनकी शब्दावली उन व्यक्ति की है, जो वैज्ञानिक प्रयोगशाला में काम करता है। लेकिन उनकी प्रयोगशाला आंतरिक अस्तित्व की है अतः उनकी शब्दावली द्वारा भ्रमित न होओ और यह अनुभूति
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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