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________________ फ्रॉयड ने बहुत सारी चीजें खोजी हैं उनमें से एक है मां या पिता के प्रति बंध जानाफिक्सेशन। फ्रॉयड कहता है कि सबसे ज्यादा खतरनाक मां वह है जो अपने बच्चे को अपने से प्यार करने के लिए इतना अधिक बाध्य कर देती है कि वह मां से बंध जाता है। और तब शायद वह किसी और को प्रेम करने के योग्य न रहे। और लाखों लोग हैं जो दुख भोग रहे हैं ऐसे बंध जाने के कारण मैं बहुत लोगों का अध्ययन करता रहा हूं। लगभग सारे पति-कम से कम निन्यानबे प्रतिशत, अपनी पत्नियों में अपनी माताओं को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। निस्संदेह, तुम अपनी पत्नी में अपनी मां को नहीं पा सकते। तुम्हारी पत्नी तुम्हारी मां नहीं है। लेकिन मां के साथ गहरा फिक्सेशन है। तब पति असंतुष्ट हो जाता है पत्नी के साथ, क्योंकि वह उसका ध्यान मां की भांति नहीं रख रही। और हर पत्नी अपने पति में अपनी पिता की खोज कर रही है। कोई पति उसका पिता नहीं हो सकता,लेकिन यदि वह उसकी पितानुमा देखभाल के साथ संतुष्ट नहीं होती, तब वह अपने पति के साथ असंतुष्ट हो जाती है। ये फिक्सेशन हैं। पतंजलि की भाषा में, वे उन्हें मोह कहते हैं। फ्रॉयड उन्हें फिक्सेशन कहता है। शब्द भिन्न होते हैं,लेकिन अर्थ वही है। जड़ मत हो जाओ, प्रवाहमान रहो। अनासक्ति का अर्थ है, तुम जड़ (फिक्स) नहीं हुए हो। बर्फ के टुकड़ों की भांति मत हो जाना। पानी की भांति हो जाओबहते हुए। जमे हुए न होना। हर मोह जमी हुई चीज बन जाता है-मुरदा। वह जीवन के साथ आंदोलित नहीं हो रहा होता, वह एक निरंतर गतिमान प्रतिसंवेदन नहीं होता। वह क्षण-प्रतिक्षण जीवंत नहीं होता, वह जड़ होता है। तुम किसी व्यक्ति को प्रेम करते हो-यदि वह वास्तव में प्रेम है, तब तम भविष्य की नहीं बता सकते कि अगले क्षण क्या घटित होने वाला है। भविष्यवाणी असंभव होती है,क्योंकि मनोदशाएं मौसम की भांति बदलती हैं। तुम नहीं कह सकते कि अगले क्षण तुम्हारा प्रेमी भी तुम्हारे प्रति प्रेमपूर्ण होगा। हो सकता है अगले क्षण वह प्रेमपूर्ण अनुभव न कर रहा हो। तुम यह आशा नहीं रख सकते। __ यदि वह अगले क्षण भी तुमसे प्रेम करता है, तो यह अच्छा है, तुम कृतज्ञ हो। लेकिन यदि वह अगले क्षण तुम्हें प्रेम नहीं कर रहा तो कुछ किया नहीं जा सकता। तुम असहाय हो। तुम्हें इस तथ्य को स्वीकार करना पड़ता है कि वह वैसी मनोदशा में नहीं है; रोने-धोने की कोई बात नहीं है। बस वह प्रेम के भाव में नहीं है। तुम स्थिति को स्वीकार कर लेते हो। तुम प्रेमी को ढोंग रचने के लिए विवश नहीं करते, क्योंकि आडंबर खतरनाक होता है। यदि मैं तुम्हारे प्रति प्रेमपूर्ण अनुभव करूं, तो मैं कहता हूं 'मैं तुमसे प्रेम करता हूं लेकिन अगले ही पल मैं कह सकता ह'नहीं, इस क्षण मैं कोई प्रेम अनुभव नहीं करता। केवल दो संभावनाएं
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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