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________________ एक बार जब वह अचेतन का हिस्सा बन जाता है, तो वह गहन स्रोत से कार्य करना आरंभ कर देता कोई चीज अचेतन बन सकती है अगर तुम लगातार उसे दोहराते जाते हो। उदाहरण के तौर पर, तुम्हारा नाम बचपन से निरंतर दोहराया जा रहा है, वह अचेतन का हिस्सा बन गया है। तुम सौ व्यक्तियों के साथ एक कमरे में सोये हुए हो सकते हो लेकिन यदि कोई आता है और पुकारता है, 'राम! क्या राम यहां हैं?' वे नब्बे प्रतिशत व्यक्ति, जिनका इस नाम से कोई संबंध नहीं है, सोते ही रहेंगे। वे अशांत नहीं होंगे। लेकिन वह एक व्यक्ति जिसका नाम 'राम' है, अचानक पूछेगा, 'कौन बुला रहा है मुझे? क्यों तुम मेरी नींद खराब कर रहे हो? ' नींद में भी, वह जानता है कि उसका नाम राम है। यह नाम इतने गहरे तक कैसे पहंच गया? केवल निरंतर दोहराव दवारा। ऐसा है, क्योंकि हर कोई उसका नाम दोहरा रहा है, हर कोई उसे इसी नाम से बुला रहा है। वह स्वयं इसका प्रयोग करता है अपना परिचय देने में। और यह नाम लगातार प्रयोग में रहता है। अब यह चेतन नहीं है। यह अचेतन का है। तुम्हारी भाषा, तुम्हारी मातृ- भाषा, अचेतन का हिस्सा बन जाती है। और जो कुछ भी तुम सीखते हो बाद में, वह कभी इतना अचेतनीय न होगा जितना कि यह। वह तो चेतन बना रहेगा। इसीलिए तुम्हारी अचेतन भाषा तुम्हारी चेतन भाषा को निरंतर प्रभावित करती रहेगी। यदि कोई जर्मन अंग्रेजी बोलता है, वह अलग होती है; यदि कोई फ्रांसीसी आदमी अंग्रेजी बोलता है, वह अलग होती है;अगर कोई भारतीय अंग्रेजी बोलता है तो वह अलग होती है। भेद अंयेजी में नहीं होता है, भेद उनके अंतरतम ढांचों में होता है। फ्रांसीसी आदमी की एक अलग भाषा-प्रक्रिया होती है। एक अचेतन प्रक्रिया जो प्रभावित करती है उस ढंग को जिससे वह दूसरी भाषा बोलता है। जो कुछ तुम बाद में सीखते हो, तुम्हारी मातृभाषा द्वारा प्रभावित होगा ही। और यदि तुम बेहोश हो जाते हो, तब केवल तुम्हारी मातृभाषा याद रह जायेगी। मुझे अपने एक मित्र की याद है जो महाराष्ट्र का था। वह जर्मनी में बीस साल तक था, या इससे भी ज्यादा ही। बीस साल से वह जर्मन भाषा का प्रयोग कर रहा था। वह बिलकुल भूल चुका था अपनी मातृभाषा-मराठी। वह उसे पढ़ नहीं सकता था। वह उसे बोल नहीं सकता था। चेतन स्वप्न से वह भाषा बिलकुल भुलायी जा चुकी थी क्योंकि उसका प्रयोग न हुआ था। फिर वह बीमार हो गया था। बीमारी के दौरान वह कई बार बेहोश हो जाता। जब कभी बेहोश होता, एक बिलकुल अलग तरह का व्यक्तित्व प्रकट हो जाता। वह अलग ढंग से व्यवहार करने लगता। जब वह बेहोश होता था, तो मराठी के शब्द बोलने लगता, जर्मन के नहीं। जब वह बेहोश होता था, तो जो मराठी भाषा के शब्द होते है उन्हें बोलने लगता। और बेहोशी के बाद जब वह पहले होश की हालत में वापस आता, तो एक मिनट के लिए तो वह जर्मन भाषा समझ भी न पाता।
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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