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________________ वह बात। आगे करने को क्या है? आदमी चांद पर चल ही रहा है। केवल पंद्रह मिनट बाद वे ऊब गये, और इस स्वप्न के सफल होने में लाखों वर्ष लगे। अब किसी को दिलचस्पी न थी उसमें जो घटित हुआ था। हर चीज पुरानी पड़ जाती है। तत्काल वह स्मृति बन जाती है, वह पुरानी हो जाती है। यदि केवल तुम अपनी स्मृतियों को गिरा सकते! लेकिन गिराने का मतलब यह नहीं है कि तुम स्मरण रखना बंद कर दो गिराने का तो इतना ही मतलब है कि तुम इस सतत हस्तक्षेप को गिरा देते हो। जब तुम्हें आवश्यकता हो, तुम स्मृति को वापस सक्रियता में ला सकते हो। लेकिन जब तुम्हें इसकी आवश्यकता न हो, इसे चुपचाप पड़ा रहने दो। तुम्हारे मन में यह निरंतर न आती रहे। अतीत यदि निरंतर वर्तमान रहे तो वह वर्तमान को घटित न होने देगा। और यदि तुम वर्तमान को खो देते हो तो तुम सब खो देते हो। आज इतना ही। प्रवचन 6 - सम्यक ज्ञान, असम्यक ज्ञान और मन दिनांक 29 दिसम्बर, 1973; संध्या । वुडलैण्ड्स, बंबई। प्रश्न सार: 1-अगर पतंजलि का योग तर्कबद्ध विज्ञान है तो क्या इसका अर्थ यह न हुआ कि असीम सत्य की प्राप्ति सीमित मन द्वारा की जा सकती है? 2- स्वयं पर संदेह दिव्यता का द्वार बन जाता है-कैसे? 3-बुद्ध द्वारा महाकाश्यप को दिया गया ज्ञान किस कोटि में आता है- प्रत्यक्ष, अनुमान या आगम?
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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