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________________ आवश्यकता होगी। यह भी कठिन है, क्योंकि सपने में क्या किया जा सकता है! और तुम इसे कैसे कर सकते हो! स्वप्नवस्था के लिए गुरजिएफ ने एक सुंदर विधि विकसित की थी। यह तिब्बतियों की पुरानी विधियों में से एक है, और तिब्बती खोजियों ने स्वप्न संसार का रहस्य बहत गहरे ढंग से समझा था। वह विधि है : जब तुम सोने ही वाले होते हो, तो एक बात ध्यान में रखने की कोशिश करो-कोई एक बात : उदाहरण के तौर पर गुलाब ही। एक गुलाब की कल्पना भर करो। केवल सोचते जाओ कि तुम उसे स्वप्न में देखोगे। उसे मन में स्पष्ट स्वप्न से देखो, और सोचते जाओ कि तुम्हारे स्वप्न में, जो कोई भी स्वप्न हो, वह गुलाब होगा ही। उसका रंग, उसकी खुशबू हर चीज की कल्पना करो। उसे महसूस करो जिससे कि वह तुम्हारे भीतर जीवंत हो जाये। और उसी गुलाब सहित सो जाओ। कुछ दिनों के भीतर तुम उस गुलाब को अपने स्वप्न में ला पाओगे। यह एक बड़ी सफलता है क्योंकि अब तुमने कम-से-कम अपने स्वप्न के एक हिस्से का तो निर्माण कर लिया है। अब तुम मालिक हो। कम-से-कम स्वप्न का एक हिस्सा, वह फूल बन आया है। क्योंकि तुम्हीं ने इसे बनाया है आने के लिए। और जिस क्षण तम फल को देखते हो, तुम्हें तत्क्षण ध्यान आयेगा कि यह तो सपना है। किसी और चीज की आवश्यकता नहीं। वह फूल और यह जागरूकता कि यह स्वप्न है, दोनों परएकर संबद्ध हो जाते है क्योंकि तुमने ही सपने में फूल का निर्माण किया है। तुम निरंतर सोचते रहे थे कि यह फूल सपने में दिखना चाहिए, और वह फूल दिखा। फौरन तुम पहचान जाओगे कि यह तो सपना है। और सपने का, फूल का, सपने और उसके आस-पास की हर चीज का सारा स्वरूप बदल जायेगा। तुम जागरूक हो चुके हो। तब तुम सपने का आनंद ऐसे नये ढंग से ले सकते हो जैसे कि वह कोई फिल्म हो। और फिर यदि तुम सपने को रोकना चाहो, तुम उसे आसानी से रोक सकते हो और उसे दूसरी दिशा में ले कते हो। लेकिन इसमें थोड़ा अधिक समय और अभ्यास चाहिए होगा। फिर तम अपने सपनों का निर्माण स्वयं कर सकते हो। सपनों का शिकार होने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम अपने स्वप्न स्वयं निर्मित कर सकते हो, तुम अपने सपनों को जी सकते हो। इससे पहले कि तुम सो जाओ, तुम कोई विषय ले सकते हो, और तुम अपने सपनों को निदेर्शित कर सकते हो किसी फिल्म-निर्देशक की तरह ही। तुम इससे किसी प्रसंग का निर्माण कर सकते हो। स्वप्न-सृजन का प्रयोग तिब्बतियों ने किया है, क्योंकि स्वप्न-सृजन द्वारा तुम बदल सकते हो अपना पूरा मन; उसका सारा ढांचा। और जब तुम सपनों के साथ सफल हो जाते हो, तब तुम निद्रा के साथ सफल हो सकते हो। लेकिन स्वप्नरहित निद्रा के लिए कोई तरकीब नहीं है, क्योंकि उसमें कोई विषय-वस्तु नहीं है। तरकीब तो केवल विषय के साथ काम कर सकती है। चूंकि कोई
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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