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________________ प्रति जिसे तुम देखते हो, जागरूक रहो। जो कुछ भी तुम कर रहे हो, जागरूक बने रहो, और उसे जागरूकता के साथ करो। तो रात को, जब तुम सो रहे होते हो, जागरूक बने रहने का प्रयत्न करो। रात की अंतिम अवस्था बीत रही होगी,स्मृतियां बह रही होंगी। जागरूक बने रहो और जागरूकता सहित ही सोने का प्रयत्न करो। यह कठिन होगा। लेकिन यदि तम प्रयत्न करो, तो कुछ सप्ताह के भीतर, तुम झलक पाने लगोगे। तुम सोये हुए होओगे और जागरूक होओगे। __ यदि तुम ऐसा क्षण भर के लिए भी कर लो, तो यह इतना सुंदर है, यह इतने आनंद से भरा हुआ है, कि तुम कभी फिर वैसे ही न रह पाओगे। और फिर तुम नहीं कहोगे कि सोना तो सिर्फ समय गंवाना है। यह सर्वाधिक मूल्यवान साधना बन सकती है। क्योंकि जब जागने की अवस्था चल रही होती और निद्रा आरंभ होती है तो परिवर्तन होता है। एक नये आयाम का परिवर्तन भीतर होता है। जब तुम एक आयाम से दूसरे, इस तरह आयाम बदलते हो तो एक क्षण के लिए, जब तुम इन दोनों के बीच होते हो तो एक निक्रिय गियर (आयाम) आता है। वह कोई वास्तविक गियर नहीं होता है। निक्रियता की वह घड़ी बहुत सार्थक होती है। यही मन के साथ घटित होता है। जब तुम जाग्रत अवस्था से निद्रा की ओर बढ़ते हो, तब एक घड़ी होती है जब तुम न तो जागे हुए होते हो और न सोये हुए। उस घड़ी में कोई गियर नहीं होता, यंत्र-प्रक्रिया कार्य नहीं कर रही होती है। तुम्हारा स्वचलित व्यक्तित्व उस घड़ी में निष्प्रभ हो जाता है। उस घड़ी में तुम्हारी पुरानी आदतें तुम्हें निश्चित ढांचे में जाने के लिए बाध्य नहीं कर सकतीं। उस घड़ी में तुम छुटकारा पा सकते हो और जागरूक हो सकते हो। भारत में उस क्षण को 'संध्या' कहा जाता है-दो अवस्थाओं के बीच का घड़ी। दो संध्याएं होती हैं। दो बीच की घड़ियां होती हैं-एक तो रात में जब तुम जाग्रत अवस्था से निद्रा की ओर जाते हो, और दूसरी जब तुम सुबह को फिर निद्रा से जागने की तरफ चलते हो। इन दो घड़ियों को हिंदुओं ने प्रार्थना की घड़ियां कहा है-'संध्याकाल'; बीच के काल। क्योंकि तब तुम्हारा व्यक्तित्व एक क्षण के लिए वहां नहीं होता है। उस एक क्षण में तुम शुद्ध होते हो, निर्दोष। और यदि उस क्षण में तुम जागरूक हो सको, तो तुम्हारी पूरी जिंदगी बदल चुकी होगी। तुमने रूपांतरण के लिए नींव रख दी होगी। इसलिए प्रयत्न करो, सपनों की अवस्था में जागरूक बनने का। इसके लिए विधियां हैं कि सपनों की अवस्था में जागरूक कैसे बना जाये? एक काम करो, यदि तुम प्रयास करना चाहते हो, पहले तो जाग्रत अवस्था में प्रयास करो। जब तुम जाग्रत अवस्था में सफल हो जाओ, तब तुम स्वप्रावस्था में सफलता पा सकोगे। ?' क्योंकि सपने देखना अधिक गहरा है, अधिक प्रयास की
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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