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________________ कल्पना तो बस शब्दों, शाब्दिक ढांचों द्वारा बनती है। तुम एक चीज का निर्माण करते हो, लेकिन वह वहां होती नहीं,वह वास्तविकता नहीं है। तुम अपनी मानसिक धारणाओं द्वारा उसका निर्माण करते हो। और तुम इस हद तक इसका निर्माण कर सकते हो कि तुम स्वयं इसके द्वारा धोखा खा जाते हो, और तुम सोचते हो यह वास्तविक है। ऐसा हिप्रोसिस में घटित होता है। यदि तुम किसी व्यक्ति को हिप्रोटाइज करो और उससे कुछ कहो तो वह कल्पना को जोड़ लेता है, और वही कल्पना वास्तविक हो जाती है। तुम ऐसा कर सकते हो। यह तुम बहुत तरह से कर रहे हो। एक बहुत प्रसिद्ध अमरीकी अभिनेत्री, ग्रेटा गारबो, उसने अपने संस्मरण लिखे हैं। वह एक साधारण लड़की थी, घरेलू सी सामान्य लड़की, बहुत गरीब। केवल बहुत थोड़े पैसों के लिए ही वह एक नाई की दुकान में काम कर रही थी, और वह ग्राहक के चेहरे पर साबुन लगाती। तीन साल से वह यही कर रही थी। एक दिन एक अमरीकी फिल्म निर्देशक नाई की दुकान में आया हआ था। वह उसके चेहरे पर साबुन लगा रही थी और जिस ढंग के अमेरिकन होते हैं, उसका शायद यह मतलब हो भी नहीं-उसने दर्पण में लड़की के प्रतिबिंब की तरफ देखा और बोला, "कितनी सुंदर! 'और उसी क्षण ही ग्रेटा गारबो का जन्म हुआ था। वह लिखती है- अचानक वह दूसरी हो गयी थी! उसने कभी स्वयं को सुंदर न जाना था, वह ऐसा मान ही न सकती थी। और उसने पहले कभी किसी को कहते नहीं सुना था कि वह सुंदर है। पहली बार उसने भी दर्पण में देखा, उसका चेहरा असाधारण था। इस आदमी ने उसे सुंदर बना दिया था। फिर उसकी सारी जिंदगी बदल गयी। उसने उस आदमी की बात को ग्रहण कर लिया और एक बहुत प्रसिद्ध अभिनेत्री बन गयी। क्या घटित हुआ था? केवल एक हिप्रोसिस, एक सम्मोहन।'सुंदर' शब्द द्वारा हुए सम्मोहन ने काम कर दिया। यह काम करता है; यह रसायन बन जाता है। हर कोई अपने बारे में कुछ विश्वास रखता है। वह विश्वास वास्तविकता बनता है क्योंकि वह विश्वास तुम पर कार्य करना शुरू करता है। कल्पना एक शक्ति है, लेकिन जोड़ा गया आवेग है, एक काल्पनिक शक्ति है। तुम इसका स्तेमाल कर सकते हो या तुम इसके द्वारा इस्तेमाल किये जा सकते हो। यदि तुम इसका इस्तेमाल कर सको, तो यह सहायक होगी। लेकिन यदि तम इसके दवारा इस्तेमाल किये जाते हो, तो यह घातक होती है, खरतनाक होती है। कल्पना किसी भी क्षण में पागलपन बन सकती है। लेकिन कल्पना सहायक हो सकती है यदि इसके द्वारा तुम अपने आंतरिक विकास के लिए, अपने क्रिस्टलाइजेशन के लिए किसी परिस्थिति का निर्माण कर सको। यह शब्दों द्वारा होता है कि तुम चीजों को कल्पनाबिंबों में जोड़ लेते हो। मनुष्य के लिए शब्द, भाषा, शाब्दिक ढांचे इतने महत्वपूर्ण हो गये है कि अब इससे ज्यादा कोई चीज महत्वपूर्ण नहीं
SR No.034095
Book TitlePatanjali Yoga Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages467
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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