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________________ * तौलिये आप जिन चीजो का निर्माण कर रहे है और रात-दिन अपने सुखी जीवन के लिए जिन-जिन वस्तुओ को काम में ले रहे है-इस मिकेनिज्म (यत्रीकरण) से सृष्टि का विनाश तो नही हो रहा है ? * तौलिये, मानव जीवन में हमने जिन-जिन परम्पराओ, व्यवस्थाओ, राजकीय पद्धतियो, विधि-विधानो और आतको को पुष्ट किया है वे मनुष्य को तोड तो नही रहे हैं ? * तौलिये, आपके स्वय के अस्तित्व को टिकाये रखने में हिंसा के उपकरण-घृणा, द्वेष, क्रोध, तृष्णा और क्रूरता--को बढावा तो नहीं मिल रहा है ? -, अहिंसा जीनी हो र aa कर का अपना जीवन बदलना होगा। आधुनिक सभ्यता के जिस शिखर पर वह चढ बैठा है, वहा से उतर कर धरती पर पैर टिकाने होगे। अहिंसा की रेलगाडी के लिए प्रेम और करुणा की पटरिया बिछानी होगी। अहिंसा की जय-पताका लेकर हम कितना ही दोडे, नीचे तो पटरिया स्वार्थ और अहकार की ही बिछी है और सारा जीवन उसी पर टिका है। हाथ मे अहिंसा और पैर में हिंसा-दोनो साथ कसे चलेगे? आपका अस्तित्व और मेरा वर्चस्व, दोनो कसे मेल खायेंगे? आखो मे करुणा और करनी में क्रूरता, मुंह मे सवेदना और व्यवहार में उपेक्षा, साथ नही चलेगी। भगवान महावीर के 2500 में परिनिर्वाण वर्ष में हम दौडे तो बहस हैं पर उन्हीं बिछी-बिछायी पटरियों पर दौडे है। उन्हें उखाड फेंकते और प्रेम तथा करुणा की पटरिया बिछा देते तो ढाई हजार वर्ष पहले का महावीर फिर से हमारी रूह में पा जाता। प्रब जब कि हमारे समारोहात्मक परिनिर्वाण का यह प्रतिम चरण है, क्या यह सकल्प हम ले सकते हैं कि हमारे प्यार का पहला लहमा हमसे ही शुरू होगा। महावीर के सारे भक्त अपने-अपने पूजा-पाठी रीति-रिवाजो की दीवारें तोडकर एकता महसूस करेंगे और महावीर ने संपूर्ण सृष्टि के जिस प्रेम को अनुभूत किया था उसे आपस में बांटेंगे और अपने अहिंसा धर्म को सह-अस्तित्व, अनेकांत और अपरिग्रह से जोडेंगे। अहिंसा का कलश टिकेगा तो इसी त्रिकोण पर टिकेगा। 00 128 महावीर
SR No.034092
Book TitleMahavir Jivan Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManakchand Katariya
PublisherVeer N G P Samiti
Publication Year1975
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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