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________________ 1 भिक्षुओ । जितना भी रूप है— चाहे भूत काल का हो, चाहे वर्तमान का, चाहे भविष्यत का, चाहे अपने अन्दर का हो, अथवा बाहर का, चाहे स्थूल हो, अथवा सूक्ष्म, चाहे बुरा हो, अथवा भला, चाहे दूर हो अथवा समीप - वह सव रूप "रूप उपादान स्कन्ध” के अन्तर्गत है, उसी प्रकार जितनी भी वेदनाये है, वह सव 'वेदना - उपादान - स्कन्ध' के अन्तर्गत है, जितनी भी सज्ञा है, वह सव 'सज्ञा - उपादान स्कन्ध' के अन्तर्गत है, जितने भी सस्कार है वे सब 'सस्कार - उपादान - स्कन्ध' के अन्तर्गत है, और जितना • विज्ञान है, वह सब 'विज्ञान - उपादान स्कन्ध' के अन्तर्गत है । भिक्षुओ | स्प-उपादान स्कन्ध किसे कहते है ? चारो महाभूतो को, तथा चारो महाभूतो के कारण जो रूप उत्पन्न होता है, उसे रूप उपादानस्कन्ध कहते है । भिक्षुओ। चारो महाभूत कौन से है ? पृथ्वी धातु, जल-धातु, अग्नि-धातु, तथा वायु-धातु । - भिक्षुओ । पृथ्वी धातु किसे कहते है ? पृथ्वी धातु दो प्रकार की हो सकती है - ( १ ) अन्दरूनी पृथ्वी धातु तथा बाहरी पृथ्वी धातु । अन्दनी पृथ्वी धातु किसे कहते है ? यह जो प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर ठोस है, खुरदरा है जैसे – सिर के बाल, बदन के रुऐ, नाखून, दॉत, चमडी, मास, र, हड्डी, हड्डी (के भीतर की) मज्जा, कलेजा, यकृत, क्लोमक, तिल्ली, फुप्फुस, ऑत, पतली- ऑत, पेट मे की ( थैली), पाखाना भी जो प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर ठोस है, खुरदरा है, उसे अन्दरूनी पृथ्वी धातु कहते है । और यह जो अन्दरूनी पृथ्वी धातु है तथा यह जो बाहरी पृथ्वीधातु है—यह सब पृथ्वी- धातु ही है । ओर भिक्षुओ । जल-धातु किसे कहते है ? जल-धातु दो प्रकार की हो सकती है – अन्दरूनी जल-धातु और बाहरी जल-धातु । अन्दरूनी जलधातु किसे कहते है ? यह जो प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर जलीय है, वहने वाला है, तरल पदार्थ है जैसे - पित्त, कफ, पीप, लोहू, पसीना, मेद (वर),
SR No.034090
Book TitleBuddh Vachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahasthavir Janatilok
PublisherDevpriya V A
Publication Year
Total Pages93
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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