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________________ ७६ वृहत् पूजा संग्रह मचकुंद। सोवन जाइ जूईका, विउलसिरी अरविंद ॥१॥ जिनवर चरण उवरि धरे ए हां रे अ०, मुकुलित कुसुम अनेक । शिव रमणीसे वर वरे, विधि जिन पूज विवेक ॥२॥ ॥ राग कानडो॥ सोहेरी माई वरणे मन मोहेरी माई वरणे । विविध कुसुम जिलचरणे ॥ सो० ॥ विकसी हसी जंपे साहिबकू, राखि प्रभु हम सरणे ॥ सो० १॥ पंचमि पूज कुसुम मुकुलितकी, पंचविषय दुख हरणे ।।सो०॥ कहे साधुकीरति भगति भगवंतकी, भविक नरा सुखकरणे ॥ सो० २॥ ॥ छठी मालरोहण पूजा ॥ ॥ राग आशावरीमा दोहा॥ छठी पूजा ए छती, महा सुरभि पुफमाल । गुण गुंथी थापे गले, जेम टले दुखजाल । ॥राग रामगिरी गुर्जरी ॥ हे नाग पुन्नाग मंदार नव मालिका, हे मल्लिकासोग पारिध कली ए। हे मरुक दमणक बकुल तिलक वासंतिका, हे लाल गुल्लाल पाडल भिली ए ॥१॥ हे जासुमण
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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