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________________ (ड) भेदी पूजा और उ० यशोविजयजी देवचन्द्रजी और ज्ञानविमल सूरिजी कृत संयुक्त नवपद पूजा जैन समाज मे विशेष प्रसिद्धि को प्राप्त हुई । गन दो शताब्दियों मे शिवचन्द्रोपाध्याय, चारित्रनंदी, अमरसिन्धुर, ज्ञानसार, सुमतिमडन, कपूरचन्द्र श्रीजिनह सूरि, जिनकृपाचन्द्रसूरि, हरिसागरसूरि, कवीन्द्रसागरसूरि आदि अनेक विद्वान कवियों ने खरतरगच्छ मे लगभग ६० पूजाएँ निर्माण कर पूजा साहित्य का भण्डार भरने के साथ-साथ भक्त जनता का बड़ा उपकार किया है। इन्हें अर्थ विचारणा पूर्वक गाने वाला व्यक्ति भक्ति रसपूर्ण संगीतज्ञ बनने के साथ-साथ जैन तत्वज्ञान, इतिहास और विधि-विधान मे भी प्रबुद्ध निष्णात हो सकता है । प्रस्तुत वृहत् पूना समइ विश्नप्रेम प्रचारिका, जैन कोकिला, प्रवर्तिनी श्री विचक्षणश्रीजी महाराज के उपदेश से प्रकाशित हो रही है। इसमे प्रचलिन अनेक पूजाओं के साथ-साथ परम पूज्य श्रीमद् कवीन्द्रसागरसूरिजी फा ११ पूजाएँ जो आचार्य पद से पूर्व निर्मित है, संगृहीत है एवं श्रीमद्विजय वल्लभसूरिजी महाराज कृत कतिपय प्रचलित पूजाएँ देकर मन्थ के महत्व में अभिवृद्धि की गई है । आशा है इन पूजाओं के उपयोग से जैन संघ अधिकाधिक लाभान्वित होगा । — भँवरलाल नाइटा }
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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