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________________ [३०] मंत्र-ॐ हीं अहं परमात्मने, अनन्तानन्तज्ञान शक्तये, जन्म-जरा-मृत्यु निवारणाय, श्री मजिनेन्द्राय, नैवेद्य यजामहे स्वाहा । इस प्रकार उपरोक्त काव्य तथा मंत्र पढ़कर प्रभु प्रतिमा ' के आगे के पाटे के ऊपर मिठाई-पक्वान्न. (पकवान ) आदि. चढ़ावे। ॥ अप्टमी फल पूजा ८ ॥ ॥ ॐ नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यः ॥ कटुक कर्म विपाक विनाशनं, सरस-पक्व-फल व्रजढौकनम् । विहित मोक्षफलस्य प्रभोः पुरः, कुरुत सिद्धि फलाय महाजनाः ||८|| मंत्र-ॐ ह्रीं अर्ह परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञान शक्तथे, जन्म-जरा-मृत्यु-निवारणाय, श्रीमजिनेन्द्राय, फलं यजामहे स्वाहा। ___ उपरोक्त काव्य और मंत्र पढ़कर, प्रभु के सामने के पाटे के ऊपर, अर्पण किये हुए नैवेद्य के पास ऋतुफल [ श्रीफल, सुपारी, मौसमीफल, जो भी उपलब्ध हो] को चढ़ावे।
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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