SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री पार्श्वनाथ पंचकल्याणक पूजा ३२५ घर मंगलाचार रे, प्रभु जन्म महोत्सव ।। आ० ॥ ६ ॥ नाग दिसा था निशि अधिकारी, गर्भ महावम से अधिकारी । नामी पार्श्व कुमार रे, प्रभु जन्म महोत्सव आ०१७॥ हरि कपीन्द्र जपो प्रभु पारस, भर जावे जीवन में समरस | हो आतम उद्धार रे, प्रभु जन्म महोत्सव || आ० ॥ ८॥ ॥शाईल-विक्रीडितम् ॥ गर्भस्थ विनयावनम्र वपुपा, शक्रोऽनमयमुहा, यज्जन्मावसरे सुसं त्रिभुवने पुर्ण-प्रकाशो ऽभवत् । यज्जन्मोत्सव मात्म तारण कृते पुर्वन्सुरा मन्दरे, अर्ह पार्श्वजिनं यजामह हह द्रन्यः शुभैः सर्वदा। ॐ ही श्री परमात्मने अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये जन्मजरा मृत्यु निवारणाय श्री पार्श्वनाथायाहते जलादि अरद्रव्यं यजामहे स्वाहा। ॥ तृतीय दीक्षा कल्याणल पूजा ।। ॥दोहा॥ शारद सित परा दूज के, चन्द्र रूप भगवान ! जन मन के उत्साह सह, बढते पुण्य-प्रधान ॥१॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy