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________________ [] ॥ मंत्र ॥ ॐ ह्रीं अर्ह परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये, जन्म- जरा मृत्यु - निवारणाय, श्रीमद् आदिजिनेन्द्राय, ( श्रीमज्जिनेन्द्राय ) कुसुमाञ्जलिं यजामहे स्वाहा || इस मन्त्र को बोलने के बाद रकेवी में से कुछ कुसुमांजलि दोनों हाथों या अपने दाहिने हाथ से प्रभु के चरणों पर चढावे । फिर चन्दन-केशर को कटोरी वाएँ हाथ में लेकर दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली से प्रभु के दोनों चरणों मे ( पहले दाहिने, फिर बाएँ ) टीकी लगावे । फिर रकेवी में से दाहिने या दोनों हाथों मे कुसुमांजलि लेकर सड़ा रहे। फिर मंत्र बोले । ॥ मंत्र ॥ ॐ नमोऽर्हदमिद्धाचार्योपाध्याय, सर्वसाधुभ्यः || TET || जो नियगुण पज्जनरम्यो, तम अनुभव एगत ॥ सद पुग्गल आरोपतां, ज्योति सुरंग निरत ||२|| जा निज आतम गुण आणन्दी, पुग्गल मंगे जेह अफन्दी || जे परमेश्वर निज पर लीन, पूजो प्रणमो भय अदीन ॥२॥ समाजलि मेलो शान्ति जिणन्दा । वोरा चरण
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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