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________________ [८] मुखकोश सावधानी से बाँधना चाहिये । ध्यान रहे कि प्रभु पूजन सूर्योदय के दो घड़ी बाद ही शास्त्रों में करने की आज्ञा है, पहले नहीं । इसका सदा ध्यान रखना चाहिये । इस प्रकार यह पूजा तथा स्नात्रपूजा की विधि संक्षेप से लिखी है 1 ॐ श्रीमत् परम अध्यात्म-रसिक, परम- गीतार्थ श्रीमद्देवचन्द्रजी महाराज कृत ॥ स्नान पूजा ॥ ॥ दोहा ॥ चउती से अतिसय जुओ - वचनातिसय संजुत्त ॥ सो परमेसर देखि भवि— सिंहासण संपत ॥ १ ॥ || ढाल || सिंहासन बैठा जग भाण, देखी भविजन गुण मणिखाण || जे दीठे तुझ निम्मलभाण, लहिये परम महोदय ठाण ॥१॥ कुसुमाञ्जलि मेला आदि जिणन्दा । तोरा चरणकमल चौबीस, पूजो रे चौबीस, सोभागी चौबीस, बैरागी चौवीस जिणन्दा | कुसुमाञ्जलि मेलो आदि जिणन्दा ।
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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