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________________ श्री शांतिनाथ पंचकल्याणक पूजा (माढ दादरा-मेरे गमका तराना यह तर्ज घाल-हिमाचल धारा) जिनवर हितकारी अति उपकारी नमिये चार हजार । प्रभु आनंदधारी जय जयकारी, जाऊं बलिहारी नमिये वार हजार ॥ अ० ॥ क्षेमकर प्रभु आवियारे, सुन वज्रायुध राय । साडयर शुद्ध भावसेरे, आय नमे प्रभु पायरे ।प्रभु०। ॥१॥ शुभ भावे प्रभु देशनारे, सुन सयम मन धार । राजा राणी पुत्रोरे, साथ हुओ अनगाररे ।। प्रभु० ॥२॥ सहन करत उपसर्गकोरे, करता उग्र विहार । तप तपता कड जातकेरे, निज आतम उद्धाररे । प्रभु०॥३॥ सहस्रायुध सुन आवियारे, पिहिताश्री गणधार | कर्णामृत सुनो देशनारे, लीनो संयम भाररे ॥ प्रभु० ॥ ४ ॥ सहस्रायुध मुनि विचरतारे, बज्रायुध मिला आय। पुन पिता दोनों मुनिरे, विचरे माध सदायरे ॥ प्रभु० ॥ ५॥ पदरमे देवलोकमे रे, उपने अनशन पाल । आतम लक्ष्मी संपदारे, यल्लम हर्प निहालरे । प्रमु० ॥६॥ १ चार हजार मुकुट वध राजा, चार हजार रागिया और सान सौ पुत्रों के माथ यमायु र चार्तिने श्री क्षेमंकर तीथंकर के परनोंमें दीक्षा धारण की।
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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