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________________ ॥ श्री आदीश्वर पंचकल्याणक पूजा॥ || प्रथम च्यवन कल्याणक पूजा !! ॥दोहा॥ आदि जिनंद नमी करी, आदि जिनेसर राय । कल्याणक पूजा रच, सिमरी शारद माय ॥१॥ च्यवन१ जन्म दीक्षा३ अली, चौथा केवल४ नाण । पंचम पंचम गति कही, ए पांचो कल्याण ॥२॥ उत्तम जन गुण गानसे, उत्तम गुण विकसंत । उत्तम निज संपद मिले, होवे भवको अंत ॥३॥ समकित प्राप्ति से कही, भव संख्या निर्धार । आदिनाथके तेर हैं, नेमिनाथ नव धार ॥४॥ पार्श्वनाथ भव दश कहे, शांतिनाथ भव बार । सात वीस भव वीरके, तिग तिग शेष विचार ॥५॥ प्रभु कीर्तन से होत है, निश्रेयस पद सार । तिण श्री आदिनाथका, सुन्दर यह अधिकार ॥६॥ अष्ट द्रव्य पूजा प्रति, पूजन का विस्तार । . द्रव्य भाव पूजा करी, होवे भव निस्तार ॥७॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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