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________________ 3 ॥ ॐ ॥ || श्रीमद् अर्हद भ्यो नमः ॥ वृहत् पूजा संग्रह ॥ अथ नवकार मन्त्र || णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं । णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सन्त्र - साहूणं ॥ पाव - प्पणासणो । एसो पंच णमुकारो, सन्च मगलाणं च सचेसिं, पढमं हवड़ मंगलं ॥ ॥ स्नात्र पूजाविधि ॥ प्रात काल मे भव्यात्मा आसातनाओ को टालता हुआ, सम्यग्दर्शन की शुद्धि के लिये, प्रभु मन्दिर मे 'नमो जिगाणं' कहता हुआ प्रवेश करे । पाप व्यापारी के निषेध रूप 'निस्सिहि' शद का तीन बार उच्चारण करे। वहाँ शुद्ध जल से स्नान कर, शुद्ध धोती पहिने । उत्तरासन, दाहिने कंधे के नीचे और चाये कन्धे के ऊपर करे । फिर अपने सिर के वालों को सँवार कर हाथी को
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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